प्रकृति की अनुपम उपहार काले हिरण के संरक्षण की घोषणा के बाद भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है । तस्‍कर इनकी हत्‍या कर रहे हैं, लेकिन पुलिस उनको पकड़ नहीं पा रही है ।

बक्‍सर से  बबलू उपाध्याय की रिपोर्ट

काला हिरण एक दुर्लभ जीव है।  इस जीव को संरक्षित जीव की श्रेणी में रखा गया गया है। इसका शिकार करना ,घर में बांध कर रखना या इसकी तस्करी करना कानूनन अपराध है और ऐसा करने पर इस मामले में कड़ी सजा का भी प्रावधान है।  बावजूद इसके काले हिरण की सुरक्षा और संरक्षण का कोई पुख्‍ता इंतजाम नहीं है।

एक महीने के अंदर बक्सर जिले के विभिन्न हिस्सों में दो काले हिरण की हत्या का मामला सामने आया, लेकिन इस दिशा में हत्‍यारों तक पुलिस नहीं पहुंच सकी है।  गौरतलब है कि बक्सर शहर के आसपास के इलाकों में काले हिरण देखने को मिल जाते हैं।

राजस्थान के बाद इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या में काले हिरण पाए जाते है। एक आंकड़े के मुताबिक, बक्सर वन प्रक्षेत्र में लगभग चार से पांच हजार के आसपास काले हिरणों की संख्या है। परेशानी ये है कि इस क्षेत्र के संरक्षित नहीं होने की वजह से इन हिरणों पर तस्करों की नजर भी लगी रहती है, जिसका खामियाजा कई बार इन्हें अपनी जान देकर भी चुकाना पड़ता है।

जानकारों की माने तो भोजपुर वन प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले बक्सर और भोजपुर जिले के बोर्डर पर बसे गावों के आसपास तकरीबन 5000 काले हिरणो की संख्या हैं, पर आज तक यह क्षेत्र इन हिरणों के लिए अभ्यारण घोषित नहीं हो सका है। बक्सर का इलाका उत्तरप्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण तस्कर आते हैं और बड़े आराम से शिकार करते है और चले भी जाते है।  जानकारी के मुताबिक हिरणों के सुनहले छाल और खूबसूरत सिंग की अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अच्छी कीमत मिल जाती  है । बहरहाल ऐसे जीवों के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे के बादल के बीच लोगो में जागरूकता के साथ-साथ वैसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की भी आवश्यकता है, जो तस्करी या फिर किसी अन्य कारणों से इन जीवों की हत्या कर देते हैं।

उधर वन विभाग के रेंजर शशिभूषण झा का कहना है कि प्रशासन हर स्‍तर पर काले हिरणों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में दोषी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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