प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के हैं। कारोबारी प्रदेश के हैं। इसलिए कारोबार की मार्केटिंग और प्रोडक्‍ट की पैकेजिंग भी जानते हैं। बिहार की राजनीति के लिए ‘यादव’ सबसे बड़ा और निर्णायक ‘प्रोडक्‍ट’ है। यह संयोग है कि इसके ‘ब्रांड’ श्रीकृष्‍ण का संबंध गुजरात के द्वारिका से रहा है। मोदी द्वारिका के ‘फर्टिलिटी’ (उर्वरा) को समझ रहे हैं। इसलिए वे कृष्‍ण, द्वारिका और यादव की एक साथ मार्केटिंग कर रहे हैं।11745377_848330338577977_1104219622422183748_n

वीरेंद्र यादव

 

नरेंद्र मोदी ने बिहार में दो बार भाजपा द्वारा आयोजित सभाओं को संबोधित किया और दोनों ही सभाओं में ‘यादव’ वोटों को टारगेट किया। अक्‍टूबर, 13 में पटना और जुलाई, 15 में मुफ्फरपुर की सभाओं में श्री मोदी ने यादव वोटों को श्रीकृष्‍ण से जोड़ते हुए भाजपा से जुड़ने की अपील की। यह इस बात का प्रमाण था कि यादव वोट से ही भाजपा को ‘सत्‍ता की संजीवनी’ मिलने की संभावना है। इस बार भी श्री मोदी ने जहर पीने के बजाय ‘कालिया नाग’ के फन कूचलने की अपील यादवों से की।

 

वोट चाहिए ओडि़या से और टिकट देंगे चुटकी से

यह निर्विवाद है कि सरकार से अलग होने के बाद भाजपा ने नंद किशोर यादव को विधान सभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाया था, तब भी उसकी निगाह यादव वोटों को आकर्षित करने पर थी। दो साल बाद भी भाजपा इसी दिशा में पहल कर रही है। लेकिन सवाल है कि अब तक भाजपा ने यादवों को क्‍या दिया है। भाजपा यादवों का वोट थोक भाव से चाहती है और जब सत्‍ता में हिस्‍सेदारी की बारी आती है तो हाशिए पर धकेल देती है। भाजपा ने आज त‍क किसी यादव को न राज्‍यसभा का टिकट दिया है और न विधान परिषद के लिए मनोनयन या विधान सभा कोटे से परिषद में भेजा है। अभी हाल ही विधान परिषद की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 17 में से सिर्फ एक टिकट यादव को दिया था। पिछले साल विधान सभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने किसी यादव को टिकट नहीं दिया था, जबकि हाजीपुर सीट नित्‍यानंद राय के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी। इस संबंध में हमने भाजपा के नेता से चर्चा की थी तो उनका जवाब था कि हाजीपुर में कोई यादव दावेदार नहीं था।

 

बड़ा सवाल

भाजपा के लिए यह बड़ा सवाल है कि हाजीपुर जैसी सीट पर भाजपा को टिकट का दावा करना वाला कोई यादव उम्‍मीदवार नहीं मिलता है तो वह आम यादव की कितनी अपेक्षाओं को पूरा करने या आकांक्षाओं को जगाने कितना कामयाब होगी। पीएम नरेंद्र मोदी की यादव वोट के लिए बेचैनी को समझा जा सकता है, लेकिन भाजपा को यादवों की अपेक्षा, आकांक्षा और सत्‍ता में हिस्‍सेदारी की भूख को नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए।

By Editor