उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी कॉलेजियम प्रणाली में सुधार को लेकर गेंद एक बार फिर केंद्र सरकार के पाले में फेंकते हुए उससे आज कहा कि वह इसमें पारदर्शिता लाने के लिए मुख्य न्यायाधीश के साथ विचार विमर्श करके प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) तैयार करे। download (2)

 

 

न्यायामूर्ति जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि योग्यता, पारदर्शिता, न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सचिवालय का गठन, शिकायतों का निपटारा और न्यायाधीशों की नियुक्ति में एमओपी के अन्य मुद्दों पर गौर करे। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर एमओपी को अंतिम रूप मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की सलाह से दिया जाना चाहिए, ताकि वह कॉलेजियम से पूरी तरह आम सहमति के साथ निर्णय कर सकें। संविधान पीठ के अन्य सदस्य हैं- न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति एके गोयल भी हैं।
 

संविधान पीठ ने कहा कि योग्यता के मानदंड पर गौर करते समय एमओपी को न्यूनतम उम्र का भी जिक्र करना चाहिए, जो कॉलेजियम के दिशा निर्देश के तौर पर काम करेगा और राज्य सरकारों और केन्द्र को इसका ध्यान रखना चाहिए। पीठ ने कहा कि न्यायाधीशों के चयन और नियुक्ति में पारदर्शिता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। इसने कहा कि नियुक्ति की प्रक्रिया में इसे दिखना चाहिए और जुड़ा हर पहलू विधि और न्याय मंत्रालय की वेबसाइट और संबंधित उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर होना चाहिए।

By Editor