सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड ने महाराष्ट्र में पुणे के निकट भीमा-कोरोगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर दलितों की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुयी हिंसक घटना की कड़ी निंदा करते हुए सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और मृतक के आश्रितों को मुआवजे के साथ ही सरकारी नौकरी दिये जाने की मांग की है। 


जदयू के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक श्याम रजक ने कहा कि पिछले 200 वर्षो से दलित समुदाय के लाखों लोग भीमा-कोरोगांव युद्ध के दौरान मारे गये महार(दलित) सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिये वर्षगांठ का आयोजन करते रहे हैं लेकिन अब तक ऐसी कोई भी घटना नहीं हुयी थी। इस बार की हिंसक घटना दलितों की एकजुटता के लिये चेतावनी है।  श्री रजक ने कहा कि ऐसी घटनाएं फिर से शुरू हो रही हैं। ऐसे में दलित वर्ग, चिंतकों,  नेताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिये चिंता का विषय है। इस पर हमें एकजुट होकर चिंतन करने के साथ ही प्रतिकार करने की आवश्यकता है। इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं चाहे वह रोहित बेमुला का हो, गुजरात के ऊना का हो या फिर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में दलितों के दमन का मामला हो।
पूर्व मंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाओं से यह जाहिर हो गया है कि दलितों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। दलित अब यह सोचने पर मजबूर हो गये हैं कि वे देश के नागरिक हैं भी या नहीं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने देश को आजादी दिलाने में योगदान दिया था जिसे भुलाया नहीं जा सकता। श्री रजक ने सरकार से इस घटना को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने के साथ ही मृतक परिवार के आश्रितों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दिये जाने की मांग की है।

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