प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर निगेटिव फेस वाले लोगों की सूची में डालने पर पत्रिका से जुड़े छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. क्या यह अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रहार है?modi

केरल के इन छात्रों का कुसूर यह था कि उन्होंने कॉलेज की पत्रिका में निगेटिव फेस वाले लोगों की सूची में नरेंद्र मोदी का फोटो डाला था.मोदी का फोटो हिटलर, जॉर्ज डब्ल्यू बुश, ओसामा बिन लादेन सहित कुछ अन्य लोगों के साथ सूची में डाला गया था. हालांकि उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

निश्चित तौर पर नरेंद्र मोदी देश के प्रधान मंत्री हैं और उन्हें बहुमत हासिल है. करोड़ों लोग उन्हें पसंद करते हैं लेकिन यह भी सच है कि उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या भी करोड़ों में है. हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबियों में से एक यह भी है कि हमें अभिव्यक्ति की आजादी मिली है. हमें यह भी पता होना चाहिए कि हम अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का मिसयूज नहीं करना है. लेकिन ताजा मामले में पत्रिका से जुड़े छात्रों, स्टाफ एडिटर गोपी और डिजाइनर राजीव ने नरेंद्र मोदी को निगेटिव फेस वाले लोगों की सूची में डाला था, जो उनकी सोच को प्रतिबिंबित करता है.

सवाल यह है कि क्या पत्रिका से जुड़े लोगों ने अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का दुरूपयोग किया है ? क्या उन्हें यह कहने का हक नहीं कि वह नरेंद्र मोदी को नापसंद करें और उन्हें नापसंद लोगों की सूची में डालें? लोकतंत्र में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी लोकप्रिय क्यों न हो सब की पसंद बनने का दावा नहीं कर सकता. यह सच है कि नरेंद्र मोदी की सरकार पूर्ण बहुमत में है लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्हें देश के मात्र 31 प्रतिशत लोग ही पसंद करते हैं.

 

जहां तक नरेंद्र मोदी को निगेटिव फेस वालों की सूची में डालने की बात है तो यह परसेप्शन लोगों के दिमाग में उनकी पुरानी छवि को लेकर है. बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एक वर्ग में काफी लोकप्रिय रहे हैं तो एक दूसरे वर्ग में अलोकप्रिय भी रहे हैं.इस मुद्दे पर गंभीर बहस की जरूरत है. खास कर तब जब सोशल मीडिया में राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या खुद नरेंद्र मोदी की छवि को जिस तरह से पेश किया जाता रहा है उससे कभी-कभी ऐसा जरूर लगता है कि कुछ लोग अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का मिसयूज करते रहे हैं. लेकिन ताजा मामले ने इस बहस को जरूर जन्म दे दिया है कि क्या हमारी अभिव्यक्ति की आजादी अब खतरे में आ गयी है या हम अपनी  आजादी का उल्लंघन करने लगे हैं.

By Editor

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