बीबीसी उर्दू की यह खास रिपोर्ट  खुलासा करती है कि भारत में वर्ष 2001 से 2011 के बीच मुसलमानों की आबादी में इजाफे की दर में पांच फीसद की कमी आई है. muslim.population

शकील अख्तर की रिपोर्ट

वर्ष 2001 में प्रति दशक में मुसलमानों की आबादी में 29 फीसद की दर से इजाफा हो रहा था  जबकि 2011 तक यह दर कम हो कर 24 फीसद पर आ गयी.गृह मंत्रालय ने 2011 की जनगणना रिपोर्ट अभी तक जारी नहीं की है लेकिन जो विवरण सामने आये हैं उसके मुताबिक देश में अवसत जन्मदर 18 प्रतिशत है. इस आंकड़े के मुताबिक भारत में मुसलमानों की आबादी 18 करोड़ है यानी देश की कुल आबादी का 14.2 प्रतिशत.

1991 से देश में मुसलमानों की आबादी की  इजाफे की दर में लगातार कमी आ रही है. 1991 में मुसलमानों की आबादी में वृद्धि की दर 32.2 प्रतिशत थी  जो 2001 में कम हो कर 29 प्रतिशत रह गयी और 2011 में इसमें और कमी आई और अब यह 24 फीसद पर पहुंच गयी है.

मुसलमानों की आबादी की वृदि्ध दर में कमी का यह रुझान बरकरार रहा तो 2021 तक देश की अवसत इजाफा  दर के बराबर मुसलमानों की दर पहुंच जायेगी.

कई देशों में घट रही है आबादी

दिलचस्प पहलू यह है कि भारत में मीडिया और कुछ विशेषज्ञ मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ोत्तरी को ऐसे पेश कर रहे हैं जैसे देश में इनकी आबादी विस्फोटक तरीके से बढ़ रही है. इसी तरह आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन मुसलमानों की आबादी को विस्फोटक रूप से बढ़ने के प्रचार में लगे हैं.

ईरान की हालत यह है कि वहां पिछले 20 वर्षों में आबादी में इजाफा रुक गयी है और जल्द ही वहां की आबादी कम होने लगेगी. बंगालादेश में जनसंख्या में इजाफा भारत के हिंदुओं से कम है और ज्लद ही वहां आबादी में इजाफा रुकने वाली है. यही हाल पाकिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, कतर और दूसरे देशों का भी है.

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