पिंडदान के लिए प्रख्यात और गौतम बुद्ध की ज्ञानस्थली के रूप में चर्चित गया लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर जमानत गंवा चुके जीतनराम मांझी को नीतीश कुमार ने अपना उत्तराधिकारी बनाया था। लेकिन नौ महीने में ही श्री मांझी को कुर्सी से बेदखल कर नीतीश ने फिर कुर्सी हथिया ली। नवीनतम मतदाता सूची के अनुसार, गया लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या 16 लाख 98 हजार 772 है। इस संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले विधान क्षेत्र शेरघाटी में वोटरों की संख्या 2 लाख 64 हजार 316, बाराचट्टी में 2 लाख 94 हजार 112, बोधगया में 3 लाख 7 हजार 619, गया नगर में 2 लाख 62 हजार 102, बेलागंज में 2 लाख 67 हजार 469 और वजीरगंज में वोटरों की संख्या 3 लाख 3 हजार 154 है।

वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का जनक्षेत्र-3 


वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र यादव की पुस्तक ‘राजनीति की जाति’ के अनुसार गया संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटर यादव जाति के हैं। यादव जाति के वोटरों की संख्या 20.24 प्रतिशत, मुसलमान वोटरों की संख्या 13.60 प्रतिशत, राजपूत जाति के वोटरों की संख्या 4.95 प्रतिशत, भूमिहार वोटरों की संख्या 4.51 प्रतिशत, कोईरी की संख्या 7.11 प्रतिशत, मुसहर वोटरों की संख्या 5.35 प्रतिशत, पासवान वोटरों की संख्या 4.42 प्रतिशत और रविदास वोटरों की संख्या 4.56 प्रतिशत है। 


गया में नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है और अंतिम तिथि 25 मार्च है। एनडीए में गया की सीट जदयू के खाते में गयी है। हालांकि उम्मीदवार तय नहीं हैं। महागठबंधन में अभी सीट का बंटवारा ही नहीं हुआ है। इसलिए चुनाव के स्वरूप में अभी स्पष्ट नहीं है।

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