बीएसएसी परीक्षा घोटाला मामले में पूर्व गृहसचिव व आयोग के चेयरमैन सुधीर कुमार की गिरफ्तारी से आईएएस लॉबी में भारी नाराजगी है. शुक्रवार को दिन भर नौकरशाही के गलियारे में कानाफूसी चलती रही. कुछ नौकरशाह दबी जुबान में आईएएस सुधीर कुमार से बदला लेने की कार्रवाई बता रहे हैं. और इस काम में मनुमहाराज को मोहरा की तरह इस्तेमाल किया जाना करार दे रहे हैं.

सुधीर कुमार व मनुमहाराज
सुधीर कुमार व मनुमहाराज

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

इस पूरे मामले के पीछे एक ताकतवर आईएएस अफसर के हाथ होने की दुहाई दी जा रही है. बताया जा रहा है कि उनके रिश्तेदार आईएएस अफसर को बीस साल पहले सुधीर कुमार ने गिरफ्तार करवाया था. सुधीर की गिरफ्तारी उसी का बदला कहा जा रहा है. आईएएस एसोसिएशन का दावा है कि सुधीर कुमार एक ईमानदार अफसर हैं. उनका परीक्षा घोटाला से कोई लेना देना नहीं है.

इस चर्चा के अपने-अपने तर्क हैं. पर नौकरशाही डॉट कॉम का बीएसएसी परीक्षा पेपर लीक होने के दिन से बस एक ही सवाल है. सवाल यह कि बतौर चेयरमैन सुधीर कुमार ने पेपर लीक होने के दूसरे दिन साफ शब्दों में क्यों और कैसे कहा कि पेपर लीक की बात झूठी है. उन्होंने ऐसे बयान देने के बजाये यह क्यों नहीं कहा कि अगर प्रश्नपत्र लीक हुआ तो इसकी जांच होगी और बात सही हुई तो परीक्षा रद्द कर दी जायेगी? अगर सुधीर ईमानदार हैं तो यह कैसी ईमानदारी है कि उनके होते हुए इतना बड़ा घोटाला हो गया और बतौर संस्थान प्रमुख वह इससे अंजान रहे? हम सुधीर की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा रहे, उनकी जिम्मेदारी पर सवाल उठा रहे हैं.

एक

अब जरा इस पूरे मामले में पटना के एसएसपी मनु महाराज की भूमिका पर भी गौर करें- मनुमहाराज ने प्रथम और दूसरे चरण की परीक्षा के बाद अखबारों को बयान दिया था कि लीक हुए प्रश्नों को परीक्षा के प्रश्नों से मिलान कराया गया तो पाया गया कि दोनो प्रश्न एक जैसे नहीं थे. जबकि सच्चाई यह थी कि पेपर लीक हुए थे. मनुमहाराज ने ऐसा बयान किस दबाव में दिया था? बाद में महाराज को इस मामले की जांच का प्रमुख बनाया गया तो वह इस नतीजे पर कैसे पहुंचे कि पेपर लीक हुआ?

दो

इस मामले में तभी से चेयरमैन सुधीर कुमार और सचिव परमेश्वर राम की गिरफ्तारी की मांग उठने लगी थी. महाराज ने आयोग के दफ्तर पहुंच कर चेयरमैन सुधीर कुमार से इंट्रोगेशन किया था. लेकिन उन्होंने इस कार्रवाई को पहले खुद भी डाउनप्ले किया. महराज ने मीडिया को तब बयान दिया कि वह चेयरमैन से ‘मंत्रणा’ करने गये थे. जिस आयोग में इतना बड़ा घोटाला हुआ उसके चेयरमैन से पूछ-ताछ करने को  ‘मंत्रणा’ कहने का क्या तात्पर्य था?

तीन

आईएएस एसोसिएशन का तर्क

आईएएस एसोसिएशन के तमाम तर्कों से हम सहमत न भी हों और उसके द्वारा सुधीर कुमार के पक्ष में गोलबंद होने को चाहे जिस नजरिये से देखें पर एसोसिएशन के कुछ सवाल एसआईटी की रवैये पर जरूर सवाल खड़े करते हैं. मनु महाराज ने खुद ही कहा था कि चेयरमैन जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं. चेयरमैन ने भी यही बात दुहराई थी. पर आईएएस लॉबी के कुछ तर्क पर गौर करे की जरूरत है. सुधीर कुमार अपने बीमार पिता से मिलने गये थे. इसके लिए उन्होंने लिखित आवेदन दिया था. वह भगोड़ा नहीं थे. ऐसे में गुरुवार-शुक्रवार की बीच की रात को उन्हें गिरफ्तार करने के पीछे क्या मंशा थी?  शुक्रवार को सरकारी छुट्टी थी. शनिवार और रविवार को अदालती कामकाज नहीं होता. ऐसे में आईएएस एसोसिएशन का कहना है कि सुधीर को तीन रात जेल में बितानी पड़े इसी मंशा से उन्हें हजारीबाग से उठाया गया. और फिर इसी आधार पर आईएएस लॉबी  में कानाफुसी हो रही है कि एक नौकरशाह के रिश्तेदार को किसी जमाने में सुधीर कुमार ने अरेस्ट करवाया था, उसी का बदला उनसे लिया गया. और इसमें मनुमहाराज मोहरा बने.

चार

निशाने पर महाराज

जानने वालों को पता है कि एसएसपी मनुमहाराज की पीठ पर  सीएम सचिवालय के ताकतवर नौकरशाहों का हाथ है. इसलिए मनुमहाराज भी ताकतवर अफसर माने जाते हैं. सीएम सचिवालये से महाराज की यह नजदीकी कई आला अफसरों को रास नहीं आती क्योंकि उन्हें लगता है कि मनुमहाराज कुछ खास अफसरों के इशारे पर काम कर रहे हैं. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर मनुमहाराज विपक्षी लॉबी के निशाने पर हैं. विपक्षी लॉबी भी कोई कमजोर नहीं है. ऐसे में मनुमहाराज की के लिए आगे का रास्ता आसान भी नहीं है.

 

 

By Editor