हास्टल सुप्रिंटेंडेंट को फेसबुक पर ‘हिटलर’ कहने के कारण अगरतला स्थित एनआईआईटी के 57 छात्रों को छह महीने के लिए निलंबित करना, छोटी सी गलती की बड़ी सजा है.

एनआईआईटी प्रशासन की डिसीप्लिनरी कमेटी ने यह निर्णय लिया है.

एनआईआईटी में महिला छात्र हॉस्टल अधीक्षक हैं. एक छात्र ने जब अपने फेसबुक स्टेटस पर अधीक्षक को हिटलर की संज्ञा दी तो इसे अन्य 56 छात्रों ने लाइक क्या कर दिया कि सब की शामत आ गयी.
जिन 57 छात्रों को सस्पेंड किया गया है उनमें अधिकतर लड़किया ही हैं. इनमें से कुछ की पढ़ाई अगले महीने ख्तम होने वाली है तो कुछ का कैम्पस सेलेक्शन हो चुका है.

जिन छात्रों ने हॉस्टल अधीक्षक को हिटलर( इस कमेंट का तात्पर्य तानाशाह रहा होगा) कहने भर से अगर छात्रों को सस्पेंड कर दिया जाये तो यह चिंता की बात है.

देखा जाये तो यह टिप्पणी इतनी अभद्र नहीं कि महज किसी छात्र को हिटलर कह देने से 57 छात्रों के करियर को चौपट कर दिया जाये.

फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स ने अभिव्यक्ति की आजादी को व्यापकता प्रदान की है, ऐसे में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरोपयोग नहीं होना चाहिए, हमें यह स्वीकार करना चाहिए. पर इस टिप्पणी में वैसी बात नहीं.

इसके लिए छात्रों को किसी अन्य तरह की सजा पर गौर किया जा सकता था, पर ऐसा न करके उन्हें सस्पेंड कर देने से सचमुच प्रबंधन की तानाशाही मानसिकता उजागर हो गयी है.

इससे यह भी आभास होता है कि हास्टल अधीक्षक, जो खुद भी एनआईआईटी की छात्रा हैं, को तानाशाह बनाने में प्रबंधन खुद समर्थन कर रहा है.
डिसिप्लिन के नाम पर यह कार्रवाई वापस ली जानी चाहिए.

By Editor