बिहार के भूमिहार लैंड यानी बेगूसराय, मुंगेर, नवादा और जहानाबाद में तीन सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार तय हो गये हैं। बेगूसराय से गिरिराज सिंह, मुंगेर से ललन सिंह और नवादा से वीणा देवी का नाम तय हो गया है। हालांकि अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। एक सीट जहानाबाद जदयू के खाते में चला गया है। इस सीट पर उम्मीदवार के नाम नीतीश कुमार तय करेंगे।


अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जहानाबाद किस जाति के कोटे में जाएगा। हम जदयू के टिकट की बात कर रहे हैं। पटना और मगध प्रमंडल में कुल 11 लोकसभा सीटें हैं। इसमें गया और सासाराम सुरक्षित सीट है। शेष नौ सीटों में नालंदा, काराकाट और जहानाबाद जदयू के कोटे में गया है। भाजपा ने अपनी छह सीटों में एक भी अतिपिछड़ा को टिकट नहीं दिया। नालंदा कुर्मी रिजर्व है। बची दो सीटों में काराकाट कोईरी को दिया जाना तय माना जा रहा है। इस सीट के लिए कई कोइरी दावेदार हैं। इसलिए एक जहानाबाद सीट ही है, जिस पर जदयू अतिपिछड़ा को उतार सकता है।
इस सीट पर भूमिहार और कहार के बीच रेस माना जा रहा है। हाल ही में जदयू में शामिल हुए नरेंद्र सिंह भूमिहार के नाम पर दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि जदयू ने कई अन्य भूमिहारों को भी टिकट का भरोसा दिलाकर पार्टी से जोड़ा है। अतिपिछड़ा के नाम पर कहार जाति प्रबल दावेदार मानी जा रही है। मगध इलाका में कहार जाति की बड़ी आबादी है और वह अतिपिछड़ी जातियों में सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत मानी जाती है। अतिपिछड़ा वर्ग के पूर्व सदस्य प्रमोद सिंह चंद्रबंशी जहानाबाद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वह ओबरा से दो बार विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं।
जहानाबाद में नवीनतम मतदाता सूची के अनुसार वोटरों की संख्या 15 लाख 75 हजार 18 है। पत्रकार वीरेंद्र यादव की पुस्तक ‘राजनीति की जाति’ के अनुसार, यादव वोटरों की संख्या 19.42 प्रतिशत, भूमिहार वोटरों की संख्या 10.32 प्रतिशत, मुसलमान वोटरों की संख्या 6.97 प्रतिशत, कहार वोटर की संख‍या 4.80 प्रतिशत, राजपूत वोटरों की संख्या 4.33 प्रतिशत है। इस पुस्तक में अन्य जातियों की संख्या भी लोकसभावार संकलित है। यह पुस्तक लेखक से खरीदी जा सकती है।

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