कविता की प्रेरणा शक्ति का एहसास बहुत लोगों को है पर जब दिग्गज राजनेता किसी कविता से प्रेरित हों तो उस कविता को जरूर पढ़नी चाहिए.23 सितम्बर को नीतीश यह कविता गुनगुनाने लगे.nitish

राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज उनकी कविता गुगुना रहे हैं.उन्होंने बिहारवासियों से आग्रह किया है कि वो भी दिनकर की प्रेरणादायी कविता गुनगुनायें और सोशल मीडिया पर शेयर करें.

नीतीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर दिनकर को उनके जन्म दिन 23 सितम्बर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है और लिखा है कि उनकी ओजस्वी रचनाओं ने अनगिनत देशवासियों को प्रेरणा दी है | इस अवसर पर कुछ उनकी एक कविता ‘समर शेष है’ की कुछ प्रेरणादायक पंक्तियाँ उद्धृत कर रहा हूँ. नीतीश ने आमजन से आग्रह किया है कि जवाब में आप से भी निवेदन है कि दिनकर की वो पंक्तियाँ लिखें जिनसे आपको प्रेरणा मिलती हो.

नीतीश ने दिनकर की ये कविता पोस्ट की है.

समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो
शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो
पथरीली ऊँची जमीन है? तो उसको तोडेंगे
समतल पीटे बिना समर कि भूमि नहीं छोड़ेंगे
समर शेष है, चलो ज्योतियों के बरसाते तीर
खण्ड-खण्ड हो गिरे विषमता की काली जंजीर
…..
तिमिर पुत्र ये दस्यु कहीं कोई दुष्काण्ड रचें ना
सावधान हो खडी देश भर में गाँधी की सेना
बलि देकर भी बलि! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे
मंदिर औ’ मस्जिद दोनों पर एक तार बाँधो रे
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध

By Editor