मधुबनी जिला के बेनीपट्टी प्रखंड के छोटे से गांव शिवनगर में विराट व्यक्तित्व के धनी अटल बिहारी आए थे.वो साल था 1983 का था।

मधुबनी से दीपक कुमार

पंडित ताराकांत झा और वहां के लोगों के साथ बिताए उन यादगार लम्हों की यादें आज आंखें नम कर गयीं. आज भी उस फोटो फाइल में हंसते-मुस्कुराते भारत के इस अनमोल रत्न को देख कर यह नहीं लगता कि यह महान शख्स अब सिर्फ यादों में है.सचमुच जिस गांव की माटी पर अटल जी जैसे विभूति के पांव पड़े हों,वहां के लोग क्यों नहीं अपने को बड़भागी समझेंगे.कल से पूरा गांव और इलाका इस कदर रो रहा है,मानों कोई अपना साथ छोड़ कर हमेशा के लिए चला गया हो.

 

अटल जी को श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष समारोह का आयोजन 19 अगस्त को शिवनगर गांव में किया गया है.यह वही शिवनगर है जो बड़ी शिद्दत से वाजपेयी जी की यादों को अपने दामन में सहेजे हुए है.मधुबनी जिला भारत स्काउट गाइड के मुख्य आयुक्त राम किशोर प्रसाद ठाकुर,शिवनगर गांव के विनोद शंकर झा,भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार गांधी मिश्र गगन,मध्य विद्यालय केरवा के शिक्षक मुकेश कुमार झा सहित कई लोगों ने आज उस पावन माटी का अभिनन्दन किया,जिस पर कभी घण्टों बैठ कर अटल ने मिथिला का मन बढ़ाया था.यहां के लोग अटल को कितना प्यार करते हैं,उसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि जैसे ही उनके दिवंगत होने की खबर आयी कई घरों के चूल्हे नहीं जले.लोगों के हलक से नीचे निवाला नहीं गया.

 

मिथिलांचल को उनके द्वारा अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में दिए गए कई योजनाओं के तोहफे ने वाजपेयी जी को सबका चहेता बना दिया है.लोग उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं तो कहीं भजन का दौर चल रहा है.दीपक कुमार के नन्दन निकेतन बैंगरा स्थित पत्रकार आवास पर आज सुबह से ही कीर्त्तन-भजन का दौर जारी है.इतना सब कुछ होने के बाद भी यह नहीं लगता कि अटल जी हम सबको छोड़ कर चले गए हैं.यही है एक ईमानदार राजनेता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि.

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