सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा है कि लोकसेवकों को प्रदत संरक्षण का अधिकार संवैधानिक है और भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 वैध है। सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीश तीरथ सिहं ठाकुर एक मामले की सुनवाई दौरान कहा कि भ्रष्‍ट लोकसेवकों को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन ईमानदारों का संरक्षण भी जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि यह लोकसेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति लेना असंवैधानिक नहीं है।suprim court

 

भ्रष्टाचार निवारण की धारा 19 के तहत प्रावधान है कि सरकार के पूर्व मंजूरी के बगैर लोकसेवकों पर मुकदम नहीं चलाया जा सकेगा। अधिवक्‍ता मंजूर अली खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि भ्रष्‍टाचार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन ईमानदार को संरक्षण देने की भी आवश्‍यकता है। न्‍यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि सरकार से मंजूरी की अनिवार्यता का मुख्‍य उद्देश्‍य लोकसेवकों को अनावश्‍यक व दुराग्रहपूर्ण मुकदमों से संरक्षण प्रदान करना है। उन्‍होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में शूचिता बनाए रखने के लिए यह प्रावधान आवश्‍यक है। अपनी याचिका में मंजूर अली ने भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 को निरस्‍त करने की मांग की थी।

 

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले पर उठाए सवाल

 दिल्‍ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्रियों के निजी सचिवों और ओएसडी की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार की जारी सर्कुलर पर सवाल खड़ा किया है। न्‍यायमूर्ति बीडी अहमद और एस मृदल की पीठ ने कहा कि मंत्रियों के निजी सचिवों की नियुक्ति उनका निजी मामला है। इस तरह के सर्कुलर का कोई औचित्‍य नहीं है। हाईकोर्ट ने इस प्रकार का सर्कुलर जारी नहीं करने का आग्रह भी किया है। कोर्ट ने कहा कि कोई मंत्री किसी को अपना सहायक बनाना चाहता है तो उसका निजी मामला है। इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्‍त को होगी। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सर्कुलर अपरिष्‍कृत है।

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