सऊदी अरब द्वारा विख्यात इस्लामी स्कॉलर जाकिर नाइक को नागरिकता प्रदान कर देने की खबरों के बाद उन्हें भारत वापस लाने की उम्मीदें धुमिल हो गयी हैं.

अब तक भारतीय नागरिक रहे डा. नाइक के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने नवम्बर में एफआईआर जर्ज किया था. नाइक की संस्था इस्लामी रिसर्च फाउंडेवशन पर महाराष्ट्र सरकार के अलावा भारत सरकार ने अनेक आरोप लगाये हैं. पिछले वर्ष नाइक पर आरोप लगा था कि उनके उपदेशों में इस्लाम को सर्वश्रेष्ठ मजहब बताया जाता है जबकि अन्य धर्मों की आलोचना की जाती है. साथ ही उन पर यह भी आरोप लगाये गये थे कि उनके उपदेशों से अन्य धार्मिक समुहों के बीच कटुता बढ़ती है.

हालांकि जाकिर नाइक ने खुद के ऊपर लगाये गये आरोपों को एकतरफा, और मगढ़त और उनकी इमेज को नुकसान पहुंचाने की नियत से उठाया गया कदम बताते रहे हैं.

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इन तमाम मालों की जांच के बाद एनआईए ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था और उन्हें भारत आ कर इस केस का सामना करने को कहा गया था. लेकिन इस बीच यह खबर आयी है कि ड़ा नाइक को सऊदी अरब ने अपनी नागरिकता प्रदान कर दी है. मिडिल ईस्ट मॉनिटर की खबरों में बताया गया है कि सऊदी शाह सलमान ने जाकिर नाइक को नागरिकता प्रदान कर दी है. सऊदी अरब की नागरिकता दिलाने का उद्देश्य यह बताया जा रहा है कि अब इंटरपोल उन्हें अरेस्ट करके भारत के सुपूर्द नहीं कर सकता.

नाइक के खुलाफ कुतर्कों पर उतर आये हैं कुछ न्यूज चैनल

गौरतलब है कि मुम्बई में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से जाकिर नाइक ने इस्लामिक उपदेशों को जन जन तक पहुंचाने में लगे थे. पिछले एक दशक में जाकिर नाइक की लोकप्रियता विश्व पटल पर बड़ी तेजी से उभरी थी. उनसे प्रभावित हो कर हजारों लोगों ने इस्लाम स्वीकार कर लिया था.

जाकिर नाइक पर पिछले वर्ष आरोप लगने के बाद से वह भारत नहीं लौटे. नाइक ने आरोप लगाया था कि भारतीय मीडिया उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल करके उन्हें बदनाम किया है.

केंद्र सरकार ने नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत बैन लगा दिया था. साथ ही नाइक के पीस टीवी पर भी पाबंदी लगा दी गयी थी.

 

 

By Editor