एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया। इसके साथ एक सप्‍ताह से चले आ रहे विवाद का अंत हो गया। एनडीए विवाद को दो दलित नेताओं के विवाद के रूप में भी देखा गया। लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान व हम नेता जीतन राम मांझी के बीच इस मुद्दे पर अप्रत्‍यक्ष रूप से आरोप-प्रत्‍यारोप भी लगाए गए।pASV

वीरेंद्र यादव

 

मुसहर से दुगुने हैं पासवान, इसलिए मिली दुगुनी सीट

वस्‍तुत: सीटों की लड़ाई बिहार की राजनीति में दो दलित नेताओं की अहम की लड़ाई थी और इसका समाधान भी उसी परिप्रेक्ष्‍य में किया गया। दोनों को उनकी जाति की संख्‍या में अनुपात में ही सीट का बंटवारा किया गया। चुनावी गणित में हम यह भी कह सकते हैं कि जीतनराम मांझी की तुलना में दोगुना सीट रामविलास पासवान को मिला। लेकिन वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट बताती है कि मांझी की तुलना में पासवान दुगुने सीटों के हकदार थे। क्‍योंकि राज्‍य में पासवानों की आबादी 40 लाख से अधिक है, जबकि मुसहरों की आबादी 21 लाख के आसपास है।unnamed (5)

 

जनगणना रिपोर्ट का आंकड़ा

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार में अनुसूचित जाति की संख्‍या 1 करोड़ 30  लाख से अधिक है। इसमें से 41 लाख जनसंख्‍या रविदास जाति की है। यह एससी में सर्वाधिक संख्‍या किसी जाति की है। इसके बाद नंबर आता है पासवानों का। पासवानों की जनसंख्‍या 40 लाख 29 हजार से अधिक है। जबकि मुसहरों की संख्‍या 21 लाख 12 हजार से अधिक है। इसके बाद पासी का नंबर है। पासी जाति की संख्‍या 7 लाख 11 हजार से अधिक है, जबकि धोबी संख्‍या 6 लाख 47 से अधिक है। शेष जनसंख्‍या अनुसूचित जाति की अन्‍य 18 जातियों की है।

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