मुलायम के निमंत्रण पर नीतीश लखनऊ नहीं जा सके तो भ्रम फैल गया. इस भ्रम की वजह कोई और नहीं बल्कि बुजुर्ग मुलायम का, उम्र के ऐसे पड़ाव में होना है जो न उचित तरह से सुन पाते हैं और न कह पाते हैं. गोया वन-वे में ट्रैफिक में फंस के रह गया मुलायम का निमंत्रण.mulaym.nitish

वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख

महात्‍मा गांधी सेतु या पटना बाईपास में जाम या वन-वे ट्रैफिक में फंस जाने के कारण दूल्‍हा या बारात का विलंब से पहुंचना सामान्‍य सी बात है। राजधानी पटना में जाम में फंस जाना आम बात है, लेकिन किसी का निमंत्रण वन-वे ट्रैफिक में फंस जाए तो किसी के लिए भी परेशानी का कारण हो सकता है। समाजवादी पार्टी के लखनऊ में आयोजित होने वाले स्‍थापना दिवस समारोह में जदयू प्रमुख नीतीश कुमार का निमंत्रण सपा प्रमुख मुलायम सिंह के साथ वन-वे ट्रैफिक में फंस गया और मीडिया में नीतीश की लखनऊ यात्रा को लेकर भ्रम फैल गया। आखिरकार नीतीश को खुद सफाई देनी पड़ी कि छठ के कारण वे सपा के सम्‍मेलन में नहीं जाएंगे।

 

नीतीश की बात नहीं समझ पाए नेताजी

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, तीन तारीख की शाम नीतीश कुमार को मुलायम सिंह ने फोन किया। उम्र के इस पड़ाव पर मुलायम सिंह न अच्‍छी तरह से बोल पाते हैं और न सुन पाते हैं। जितनी बात नीतीश कुमार ने समझा, उसका भावार्थ है कि शिवपाल ने आपको लखनऊ आने का निमंत्रण भेजा था। हम भी आपको आमंत्रित कर रहे हैं। इस बीच नीतीश अपनी बात भी कहते रहे और लखनऊ आने में असमर्थता जताते रहे। लेकिन मुलायम सिंह बिना सुने-समझे अपने करीबियों से नीतीश के आने की सहमति मिलने की बात कह दी। इसी सूचना या गलतफहमी के कारण मीडिया में नीतीश कुमार के लखनऊ जाने की खबर चल पड़ी।

 

अब विलय नहीं, गठबंधन

लखनऊ के समाजवादी सम्‍मेलन में जदयू के पूर्व प्रमुख शरद यादव व राजद प्रमुख लालू यादव शामिल हुए। इसका मकसद भाजपा के खिलाफ संयुक्‍त रणनीति की संभावना तलाशने तक सीमित है। अब विलय की राजनीति लगभग समाप्‍त हो चुकी है। कोई भी पार्टी अपनी पहचान और निशान खोना नहीं चाहती है। शरद यादव जरूर विलय की राजनीति में विश्‍वास रखते थे, लेकिन नीतीश गठबंधन की राजनीति को अधिक व्‍यावहारिक मान रहे हैं। गठबंधन की मजबूरी और परिस्थिति बहुत कुछ तात्कालिक कारणों से प्रभावित होती है। यही कारण है कि नीतीश समाजवादी पार्टी के आपसी विवाद से खुद को अलग रख कर बेहतर विकल्‍प तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। सपा के सम्‍मेलन में शरद यादव का शामिल होना उसी कोशिश का विस्‍तार है।

 

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