राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में अब हिंदु और मुसलमानों के बाद बौद्ध भी कूद पड़े हैं. हालांकि पहले से ही अयोध्‍या के इस विवादित भूमि पर दोनों समुदाय अपने दावों को लेकर आमने समाने हैं. अब इस दावेदारी में बौद्ध समुदाय भी उतर आया है, जिन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस विवादित भूमि पर अपना हक जताया है.

नौकरशाही डेस्‍क

मिली जानकारी के अनुसार आज बौद्ध समुदाय की तरफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद से पहले वहां बौद्ध स्मारक था. बता दें कि यह याचिका 6 मार्च 2018 को बौद्ध समुदाय के विनीत कुमार मौर्या ने दायर की है, जिसमें उन्‍होंने बताया है कि भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित भूमि पर चार बार खुदाई करवाई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद 2002-2003 में वहां अंतिम बार खुदाई हुई थी.

अयोध्‍या में रहने वाले विनीत कुमार मौर्या ने कहा कि वह बौद्ध समुदाय के सदस्य हैं. वह अयोध्या में बौद्ध धर्म के अनुसार जीवन यापन कर रहे हैं. बौद्ध धर्म के लोगों के साथ न्याय हो, इसलिए उन्होंने याचिका दायर की है. उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से जरूर इंसाफ मिलेगा. भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा पुरातत्व सर्वे 2003 के अनुसार,  उस जगह पर खुदाई में बौद्ध धर्म से जुड़े स्तूप, दीवारें और खंभे भी पाए थे. उनका दावा है कि विवादित भूमि पर बौद्ध विहार था. विवादित भूमि के नीच एक गोलाकार पूजास्थल पाया गया, जिसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इससे जुड़े सबूत जुटाने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि विवादित स्थल के कसौटी स्तंभ वाराणसी में मौजूद बौद्ध स्तंभों के समान हैं.

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