तेजस्‍वी यादव उपमुख्‍यमंत्री के रूप में अपनी जिम्‍मेवारियों, कर्तव्‍यों और दायित्‍वों को लेकर गंभीर है और कहते हैं कि जनता का सरोकार सर्वोपरि है। उन्‍होंने फेसबुक पर लिखे अपने ‘दिल की बात’ में विधान सभा सदस्‍य के रूप में अपने अनुभवों को शेयर किया है। तेजस्‍वी ने लिखा है कि विधान सभा में हर विधायक के साथ में मौजूद हैं उस क्षेत्र की जनता जनार्दन की आशाएं और सपने।  इस कार्यवाही, सम्मान और औपचारिकताओं के बहाव में इतना नहीं बह जाना है कि जनता कहीं पीछे छूट जाए। उन्‍होंने अपने कर्तव्‍यबोध का अहसास कराते हुए लिखा कि  राज्य का उप मुख्यमंत्री एवं राजद विधायक दल का नेता होने के नाते बाकी विधायकों के मुकाबले मेरा यह कर्तव्य अधिक बनता है, क्योंकि मैं सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र और पार्टी का ही प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि समस्त बिहार की जनता का प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ।  tejsavi

नौकरशाही ब्‍यूरो

 

विधान सभा का पहला अनुभव

उन्‍होंने लिखा है कि जैसा की आप सभी जानते हैं कि विगत 30 नवंबर को अन्य 98 प्रथम बार निर्वाचित विधायकों के साथ 16 वीं बिहार विधानसभा में मेरा पहला दिन था। हालांकि मैंने अपने मंत्रालय का कार्यभार 23 नवंबर को ही संभाल लिया था, परन्तु विधायक/उपमुख्यमंत्री होने के नाते विधानसभा जाना एक अलग ही उत्साह, चुनौती एवं उमंग पैदा कर रहा था । वैसे तो माता-पिता के साथ बचपन से ही बिहार विधानसभा जाने का सौभाग्य मिलता रहा है, लेकिन 30 नवंबर को सदन में कदम रखते ही ऐसा अनुभव हुआ जैसे जीवन का चुनौतियों एवं जिम्मेवारियों भरा नया अध्याय शुरू हुआ हो ।

 

धीरे-धीरे सहजता

एक नवनिर्वाचित सदस्य बसंत कुमार कुशवाहा के आकस्मिक निधन के कारण उनको श्रद्धांजलि देने के बाद पहले दिन की कार्यवाई को स्थगित कर दिया गया था । अगले दिन 01 दिसंबर को फिर से वही पहले दिन वाली गुदगुदाहट पुनर्जीवित हो गयी। समय से पहले उपमुख्यमंत्री कक्ष पहुँचने के बाद निर्धारित समय पर सदन में गया, क्योंकि सबसे पहले मुझे ही शपथ लेनी थी। जैसे-जैसे कार्यवाही चलती गई, वहाँ के वातावरण में सहज होता चला गया। प्रोटेम स्पीकर ने सभी नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलवाई। दूसरे दिन का सारा समय सदस्यों को शपथ दिलाते ही चला गया।  तीसरे दिन सबसे पहले उन सदस्यों को शपथ दिलवाई गई, जिन्हें समय के अभाव के कारण एक दिन पहले शपथ नहीं दिलवाया जा सका था।  उसके बाद बिहार के सोलहवीं विधासभा के स्पीकर के रूप में विजय चौधरी जी को चुना गया। सभी ने नव निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष को बधाई दी और बिहार विधानसभा में उनके अब तक के योगदान, अनुभव और संजीदा व्यवहार को सराहा।

 

युवा मन का उत्‍साह
तेजस्‍वी ने लिखा है कि इन सभी क्रियाकलापों के बीच मेरे अंदर का युवा मन सदन को बारीकी से निहार रहा था। मैं जाने अनजाने बहुत कुछ देख रहा था, समझ रहा था, सीख रहा था।  जनता के प्रतिनिधियों की शारीरिक और मानसिक भाषा को समझने का भी प्रयत्न कर रहा था।  औपचारिकताओं के शिष्टाचार और शिष्टाचार भरी औपचारिकताओं का अध्ययन कर रहा था।  हर औपचारिकता के पीछे की मंशा और महत्व को अपने युवा मन के तराजू से तौलने में लगा था।  इसी बीच मैंने यह महसूस किया कि दरअसल यहाँ सिर्फ विधायकगण ही नहीं हैं, बल्कि पूरे बिहारवासी भी मौजूद हैं।  और हर विधायक के साथ में मौजूद हैं उस क्षेत्र की जनता जनार्दन की आशाएं और सपने।  इस कार्यवाही, सम्मान और औपचारिकताओं के बहाव में इतना नहीं बह जाना है कि जनता कहीं पीछे छूट जाए।

 

अपेक्षा, उम्मीद और आकांक्षा
उपमुख्‍यमंत्री ने लिखा कि मैं बार-बार अंतर्मन में यह संकल्प दोहरा रहा था कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बिहार की ये सोलहवीं विधानसभा और महागठबंधन की सरकार मुख्यमंत्री  के नेतृत्व में बिहार का चहुंमुखी विकास कर जनता की अपेक्षाओं, उम्मीदों और आकांक्षों को पूरा करेगी।  सदन के अनुभवी अभिभावक तुल्य पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों से यह सीखा कि विधानसभा में जो भी बात हो, वह सिर्फ बिहार की जनता के हित की बात हो।  सभी को पॉजिटिव एटीट्यूड के साथ पूरे लगन से बिहार के हितों की आवाज़ देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुँचाना है, और बिहार को विकास पथ पर बढ़ाना है।

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