विशुन राय कॉलेज का संचालक बच्चा राय ने बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद को एक टॉपर बनाने के लिए 15 लाख रुपये दिये थे। उसकी योजना थी कि टॉपर होने पर उसके शिक्षण संस्थान का नाम रोशन हो जायेगा। इसके लिए उसने इतनी बड़ी राशि दी।  इसके साथ ही इस स्कूल के अधिकतर छात्रों ने प्रथम श्रेणी में ही पास किया था।

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पुलिस अब इस बिंदु पर भी जांच कर रही है कि सरकार द्वारा मिलने वाले ग्रांट को ज्यादा से ज्यादा लेने का तो यह प्रयास नहीं था? सरकार डिवीजन वाइज प्रति छात्र कॉलेजों को ग्रांट देती है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि आखिर किस आधार पर बच्चा राय व उससे जुड़े स्कूलों-कॉलेजों को एफिलिएशन दे दिया गया। एफिलिएशन के लिए प्रस्ताव को बोर्ड में रखा जाता है और फिर उसे पास किया जाता है।

बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा कई अन्य पदाधिकारी व सदस्य भी होते हैं, तो फिर पास कैसे हो गया? पुलिस अब एफिलिएशन बोर्ड के तमाम पदाधिकारियों व सदस्यों की सूची बना रही है और उन सभी से पूछताछ की जायेगी। उधर, एसआइटी की टीम ने लालकेश्वर के खातों व संपत्ति की जानकारी लेनी शुरू कर दी है। अभी तक जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार लालकेश्वर की पटना के संदलपुर, दीदारगंज के फतेहपुर, हिलसा के हरिनगर व दिल्ली में करोड़ों की संपत्ति है। दिल्ली में लालकेश्वर के फ्लैट होने की जानकारी पुलिस को मिली है।

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