11वें सिविल सर्विस डे के मौके पर माइक्रो ब्‍लॉंगिंग साइट ट्वीटर पर प्रशासनिक अधिकारियों को बधाई देने वालों का तांता लगा र‍हा है. वहीं, कई लोगों ने नौकरशाही में सरकारी हस्‍तक्षेप पर भी सवाल उठाए. इसके अलावा #CivilServicesDay के साथ दिन भर पीएम मोदी के भाषण पर री-ट्वीट का दौर चलता रहा.

नौकरशाही डेस्‍क

ट्वीट कर राजेश मोदी ने कहा कि सिविल सेवकों ने कड़ी मेहनत प्रतिबद्धता के साथ नई भारत के निर्माण में बेहद योगदान दिया है. गुंजीत सिंह ने लिखा – ‘हम यहां हैं इसलिए हैं कि आप वहां हैं’ तो सुशील जयसवाल ने ट्वीट कर कहा कि एक कुशल नौकरशाही के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.  हां अच्छाई के लिए गठजोड़ हो सकता है. आर सुदंरम का मानना है कि जब तक राजनीतिक आकाओं का सिविल सेवा में वर्चस्व खत्‍म नहीं होगा, तब तक आईएएस अपर्याप्त, अक्षम, और अव्यवसायिक रहेंगे.

वहीं, केदार नाथ शुक्‍ला ने ट्वीट किया – ‘सिविल सेवा परमधर्मो…’ गौरव लिखते हैं कि अब सभी अधिकारियों के लिए समझने का समय है कि आरटीआई भारत के साधारण नागरिक भी सशक्तीकरण करता है. जय प्रकाश ने  पीएमओ और प्रधानमंत्री को टैग कर लिखा है कि  महोदय, हम विनम्र अनुरोध  करते हैं कि हमारे यूपीएससी में अतिरिक्त प्रयासों के लिए विचार करें.

इसके अलावा ट्वीटर यूजर्स ने दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भी निशाने पर लिया तो जगमोहन उप्‍पल ने पीएम मोदी के भाषण को कोट करते हुए लिखा कि उन्‍होंने सिविल सेवकों को चेतावनी दी थी। उन्हें अच्‍छा व्यवहार करने के लिए कहा था। हम उनकी भूमिका के लिए प्रशंसा करते हैं. वहीं, प्रिया शेट्टी नाम के ट्वीटर हैंडल से लिख गया कि देश की सेवा, देश के विकास में योगदान और गरीबों की जरूरतों को पूरा करें.

सिविल सर्विस डे पर पीएम ने कहा – लोगों के मन में भाव पैदा करें, अभाव नहीं

सिविल सर्विस डे के मौके पर दिल्‍ली के विज्ञान भवन में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोगों के मन में भाव पैदा करें, अभाव नहीं. पीएम ने कहा कि नौकरशाहों को समर्पण भाव से काम करना चाहिए.

पीएम ने अपने संबोधन में कश्‍मीर में सेना पर पत्‍थरबाजी का जिक्र करते हुए कहा कि आप सोचिए आप में से ही कुछ लोग, जवान जब कश्मीर में बाढ़ आने पर लोगों की मदद करते हैं, तो उनको वहां तालियां भी मिलती हैं. भले ही बाद में वे ही लोग आपको पत्थर मारें, लेकिन कुछ समय के लिए उनके मन में भी आता है कि ये लोग हमारे लिए जान दे सकते हैं. कहने का मतलब काम में लोगों की सेवा का भाव होना चाहिए.

उन्‍होंने सिविल सर्विसेज़ डे पर सरकार में लाल फीताशाही का भी सवाल उठाया और कहा कि क्‍या कारण है कि 20-25 सालों से मामले अटके पड़े हैं ? दो मंत्रालयों के बीच फाइलें क्यों लटकी रहती हैं ? सरकार के ही दो विभाग अदालत में क्यों झगड़ा करते हैं ? पीएम ने कहा कि प्रगति प्लेटफॉर्म पर जब वह खुद बड़े सरकारी प्रोजेक्टों पर चर्चा करते हैं, तो बरसों से लटके हुए आठ-नौ लाख के सरकारी प्रोजेक्ट क्लियर हो जाते हैं.

पीएम ने सभी अधिकारियों से कहा कि वे इस बात पर आत्ममंथन करें कि ऐसा क्यों हो रहा है. क्या इसके पीछे की वजह अधिकारियों की व्यक्तिगत ईगो है या कमज़ोरियों को छिपाने की कोशिश की वजह से यह सब हो रहा है ? उन्‍होंने कहा कि वह समय आ गया है जब सरकारी अधिकारियों को ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचना चाहिए और व्यवस्था में सुधार लाने के लिए पहल करें. इसके अलावा भी पीएम मोदी ने अफसरों से कॉम्पिटीशन, काम के तरीके, आइडिया, माइंडसेट, एप्रोच और सिस्टम जैसे सब्जेक्ट पर भी बात की.

सोशल मीडिया पर बात करते हुए सोशल मीडिया की ताकत आज इतनी बढ़ गई है कि  इसके जरिए लोगों को जागरुक किया जा सकता है. मगर मोदी ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल खुद के प्रचार के लिए नहीं करने की बात कही. उन्‍होंने कहा कि सोशल मीडिया का लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल होना चाहिए.

By Editor