बिहार पुलिस सेवा के ईमानदार और जांबाज अधिकारी शरद कुमार की गुरूवार को हुई मौत से राज्य का पुलिस विभाग आज गहरे सदमे में है.कैंसर से जूझ रहे शरद की हाल ही में सीआईडी पटना में पोस्टिंग हुई थी.

शरद( बायं) की तीमारदारी करते राकेश दुबे
शरद( बायं) की तीमारदारी करते राकेश दुबे

शरद ने गुरूवार की सुबहु अंतिम सांस ली.

वह इससे पहले सीतामढ़ी के बखरी में पोस्टेड थे.

शरद कुमार 46 वीं बैच के अधिकारी थे. पिछले साल ही उनका कैंसर डिटेक्ट हुआ था. उसके बाद उनका इलाज दिल्ली के अस्पताल में चला. लेकिन हालत बिगड़ती गयी और फिर उन्हें मुम्बई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल रेफर किया गया था.

मुसीबतों का पहाड़

शरद कुमार के परिवार पर पिछले 18 दिनों में मुसीबतों का यह दूसरा पहाड़ टूटा है. गत 2 मार्च को शरद की लेक्चरॉर पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था. जो जन्म के मात्र दो दिन बाद दुनिया छोड़ गया. शरद की पत्नी दिल्ली के एक कॉलेज में हैं.

वरिष्ठ डीएसपी और आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग के वरिष्ठ डीएसपी सुशील कुमार ने शरद के देहांत पर गहरे दुख का इजहार करते हुए कहा कि शरद एक ईमानदार और कर्मठ अधिकारी के साथ साथ एक अच्छे इंसान भी थे.

बिहार पुलिस सर्विस एसोसिएशन के अध्यक्ष और डीएसपी रैंक के वरिष्ठ अधिकारी राकेश दुबे के साथ शरद कुमार ने छह महीने तक काम किया था. राकेश ने उनकी असामयिक मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि शरद एक ईमानदार और जांबाज अधिकारी थे. राकेश ने उनकी बीमारी के दौरान शरद की हर संभव मदद की थी और उन्हें मुम्बई जा कर इलाज करवाने में भी पहल की थी.

बेगूसराय के मूल निवासी रहे शरद कुमार ने 2006 में प्रोबेशनर डीएसपी के बतौर बेतिया में अपनी पहली सेवा दी थी उसके बाद उन्हें बेतिया सदर डीएसपी बनाया गया था. बेतिया शरद तत्कालीन डीएसपी सुशांत सरोज के प्रोबेशनर थे. सुशांत ने उनकी असामयिक मौत को अपनी निजी क्षति बताते हुए कहा कि शरद की तरह के अधिकारी मिलना मुश्किल है.

शरद के पिता भी पुलिस महकमे में अधिकारी थे. शरद की मौत पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों में शोक की लहर दौड़ गयी है.
शरद बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे. उन्होंने अपनी पढ़ाई नेतरहाट में की थी.

By Editor

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