सुब्रत रॉय सहारा की पिछले साढ़े तीन दशक में वैध-अवैध तरीके से खड़ा किये गये साम्राज्य के ढ़ाहने का निर्णायक हथौड़ा सुप्रीम कोर्ट ने चला दिया है.

देखते ही देखते ये क्या हुआ, कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ, कल चमन था आज इक सहरा हुआ

अब देश भर में फैली अरबों की सम्पत्तियां अब नीलाम की जाएंगी. इनमें लखनऊ का बहुचर्चित सहारा शहर समेत दिल्ली के निकट अरबों की सहारा इंडिया मास कम्युनिकेशन की इमार भी शामिल हैं..

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की जिन सम्पत्तियों को बेचने का निर्देश दिया है उनमें गोरखपुर की सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में फैली टाउनशिप लखनऊ की सहारा सिटी होम्स व मुंबई स्थित एंबे वैली समेत 86 सम्पत्तियां शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के आते ही लखनऊ स्थित सहारा इंडिया के मुख्यालय सहारा इंडिया भवन, सहारा इंडिया टावर व सहारा इंडिया सेंटर के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।

सुब्रत राय सहारा ने 1981 में चंद हजार रुपये से कारोबार शुरू करने का दावा करते रहे हैं. उन्होंने सहारा इंडिया परिवार नामक ननबैंकिग फाइनेंस कम्पनी के माध्यम से छोटे निवेशकों की पूंजी जुटाई. वे खुद को दुनिया का सबसे बड़ा परिवार होने का दावा करते थे. सहारा ने पिछले दो-तीन दशक में एविएशन, मास मीडिया में अखबार, पत्रिका, समाचार व एंटरटेनमेंट चैन्लस का जाल बिछाया. वे कुछ साल पहले म्यु्च्युअल फंड में भी उतरे. लेकिन सेबी ने उनके कारोबार को गैरकानूनी घोषित किया. मामला अदालत में चला और अदालत ने उन्हें निवशकों के 24 हजार करोड़ लौटनाने को कहा लेकिन उन्होंने दो साल में पैसे नहीं लौटाये तब से सहारा तिहाड़ जेल में हैं.

By Editor