क्या आप एक ऐसे नेता के बारे में जानना चाहेंगे जो 3 दशक के राजनीतिक जीवन के सत्तामोह में अभी तक 11 बार पार्टियां बदल चुके हैं और अब 12वीं पार्टी में जाने को तैयार हैं?

नेशनलिस्ट कांग्रेस छोड़ कहां जायेंगे नगमणि?
नेशनलिस्ट कांग्रेस छोड़ कहां जायेंगे नगमणि?

विनायक विजेता

अबतक 11 बार पार्टिंया बदल चुके पूर्व केन्द्रीय मंत्री नागमणि अब 12वी बार पार्टी बदलने की तैयारी कर रहे हैं.

दो वर्ष पूर्व में शामिल और राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए नागमणि ने राकांपा के बिहार झारंखंड के सभी पदों के साथ पार्टी से भी नाता तोड़ने का फैसला कर लिया है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2009 में जिस उजियारपुर लोकसभा की सीट की मांग पूरी न होने पर उन्होंने जदयू छोड़ा उसी उजियारपुर सीट के लिए उन्होंने राकांपा को छोड़ दिया।

घाट-घाट का पानी

नागमणि को यह विश्वास था कि रांकापा कांग्रेस और राजद से उनके लिए उजियारपुर सीट अवश्य मांगेगी पर ऐसा नहीं हुआ।बिहार में नागमणि एक मात्र ऐसे नेता है जो अबतक वाम दल और बसपा को छोड़ हर दल में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।

शरुआती दौर में शोषित समाज दल से राजनीति की शुरुआत करने वाले नागमणि 80 के दशक में कांगेस में शामिल हुए। नब्बे के दशक में वह जनता दल और बाद में लालू यादव की पार्टी राजद की सदस्यता ली। कुछ माह बाद वह राजद (डेमोक्रेटिक) के सदस्य बने। इसके बाद वह भाजपा में गए और 2004 में भाजपा के टिकट पर ही चतरा लोकसभा से चुनाव लड़ा पर वह चुनाव हार गए।

इसके बाद इन्होंने भाजपा छोड़ लोजपा का दामन थामा। पर यह यहां भी ज्यादा दिन नहीं टिके और नीतीश कुमार की उंगली पकड़ जदयू में शामिल हो गए। जिसके बदले नीतीश कुमार ने उनकी पत्नी को एमएलसी बनाते हुए मंत्री बना दिया। पर 2009 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने उजियारपुर सीट नागमणि को नहीं दी तो वह अपनी पत्नी सुचित्रा सिन्हा के साथ जदयू छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सुचित्रा सिन्हा को कुर्था से टिकट भी दिया जहां उनकी करारी हार हो गई। 2012 में नागमणि 11वीं बार दलबदल कर कांग्रेस छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए जहां उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर सौंपी गई पर अति-महत्वाकांक्षी नागमणि यहां भी नहीं टिक सके और वह आज राकांपा छोड़कर एकबार फिर से भाजपा का दामन थाम कर 12वीं बार दल बदलने का एक नया रिकार्ड बना सकते हैं।

हालांकि यहां भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिलने वाला क्योंकि गठबंधन के तहत भाजपा ने उजियारपुर सीट रालोसपा के संयोजक उपेन्द्र कुशवाहा के लिए छोड़ने का लगभग फैसला कर लिया है।
नागमणि की मंशा तभी सफल होगी जब भाजपा उपेन्द्र कुशवाहा को उजियारपुर के बजाए काराकाट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर ले।

By Editor