नालंदा के डीएम त्यागराजन ने नहीं सोचा था कि उनके प्रयासों  से नालंदा देश में अव्वल जिला बनेगा और उन्हें प्रधानमंत्री के हाथों उत्कृष्टता सम्मान से नवाजा जायेगा. नौकरशाही डॉट कॉम के सम्पादक इर्शादुल हक से उन्होंने अपने शानदार परफॉर्मेंस और चुनौतियों पर बात की.

गर्व के क्षण:त्यागराजन

शुक्रवार को दिल्ली में सिविल सेवा दिवस पर त्यागराजन एसएम के लिए( Thiyagrajan SM) प्रधानमंत्री के हाथों प्राइम मिनिस्टर्स अवार्ड फॉर एक्सैलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटशन प्राप्त करना यादगार लम्हा था. यह लम्हा इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि महज पांच वर्ष के सेवाकाल में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेना आसान नहीं. 2011 बैच के आईएएस त्यागराजन तमिलनाडु से हैं लेकिन वह एक आम हिंदीभाषी की तरह फर्राटेदार हिंदी बोलते हैं.

 

त्यागराजन कहते हैं “उन्होंने दीनदायाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना पर काम करने को काफी गंभीरता से लिया. नालंदा आठ विधानसभा क्षेत्रों और 32 लाख आबादी वाला बड़ा जिला है.इसलिए सौफीसद गांवों में बिजली पहुंचाना बड़ी चुनौती थी. इसलिए हमने एसडीओ, बीडीओ और विद्युत अभियंताओं के नेतृत्व में टीम बनायी. इसके अलावा तमाम जनप्रतिनिधियों और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को इससे जोड़ा”

 

त्यागराजन बताते हैं   “नियमित रूप से काम की मॉनिटरिंग की. कभी कोई समस्या आती थी तो उससे निपटने में जरा भी विलंब नहीं किया जाता था. इसके अलावा इस योजना को सफल बनाने में साउथ बिहार पावर डिस्ट्रिब्युशन कम्पनी के एमडी आर लक्षमण्ण सर व मुख्य सचिव अंजनी सर का मार्गदर्शन हमें नियमित रूप से मिलता रहा. और फिर इसी का नतीजा है कि हम जिले के 999 गांव तक बिजली पहुंचाने में सफल रहे”.

 

दर असल त्यागराजन ने इस योजना को सफल बनाने के लिए इसे मिशन के रूप में लिया था. त्यागराजन कहते हैं हर घर बिजली पहुंचाना राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना है इसलिए स्वाभाविक था कि हम इसे सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते.

यहां ध्यान देने की बात है कि बिहार देश भर में बिजली के मामले में काफी पिछड़ा राज्य माना जाता है जहां बिजली से संबंधित संसाधनों का अभाव रहा है फिर भी यह त्यागराजन की कोशिश ही थी कि उनके नेतृत्व में यह सफलता मिली.

त्यागराजन कहते हैं, “मैंने यह सोच कर काम नहीं शुरू किया कि हमें सम्मान मिलेगा. मैंने ऐसा सोचा भी नहीं था. बस काम करता गया. हां सम्मान मिलने से इतना जरूर है कि हौसला बढ़ा है और इस हौसले से आगे भी काम करने की प्रेरणा मिली है”.

निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भी मिला था सम्मान

आम तौर पर नौकरशाहों पर यह आरोप लगता रहा है कि वे टालू रवैया अपनाते हैं. काम नहीं करते. ऐसे में त्यागराजन ने यह साबित किया है कि सिविल सेवक समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं. खुद त्यागराजन कहते हैं  “सिविल सेवक के पास जितनी बड़ी जिम्मेदारी होती है उस आधार पर मैं कह सकता हूं कि अगर सिविल सेवक चाहे तो समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े गरीबों के जीवन में व्यापक बदलाव ला सकता है”. त्यागराजन आगे जोड़ते हैं “ब्युरोक्रेट्स के बारे में किनके क्या विचार हैं वे जानें लेकिन मुझे लगता है कि ब्युरोक्रेट्स के प्रयास से व्यापक बदलाव संभव है”.

त्यागराजन 2011 बैच के आईएएस अफसर हैं. उन्हें सिविल सेवा परीक्षा में 197वां रैंक और बिहार कैडर मिला था. इससे पहले त्यागराजन पटना सिटी के एसडीओ समेत अनेक पदों पर जिम्मेदारियां निभा चुके हैं.

इससे पहले 25 जनवरी 2016 को मतदाता दिवस के अवसर पर निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष चुनाव कराने और आयोग के निर्देशों के सफल अनुपालन के लिए सम्मानित कर चुका है.

नौकरशाही डॉट कॉम त्यागराजन को इस सम्मान के लिए विशेष रूप से बधाई देता है.

By Editor