गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर उंगली उठाने वाले आईपीएस अफसर ने दंगों की जांचक करने वाले नानावती आयोग की रिपोर्ट जमा होने के दूसरे ही दिन वीआरएस लेने की घोषणा क्यों कर दी?

राहुल शर्मा वही आईपीएस अफसर हैं जिन्होंने गुजरात दंगों के बाद नरोदा पाटिया, नरोदा गाम और गुलबर्ग सोसाइटी में नरसंहार की जांच की थी और उसके बाद उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिये थे.

लेकिन जब नानावती आयोग ने इस दंगों की जांच रिपोर्ट मौजूदा मुख्यमंत्री को सौंपी तो उसके दूसरे दिन ही उन्होंने रिटायरमेंट की अर्जी लगा दी.
राहुल शर्मा अभी गुजरात सरकार में आर्म्ड विभाग वडोदरा में डीआईजी के पद कार्यरत हैं.
उन्होंने बतौर सबूत दो सीडी में वो कॉल रिकॉर्ड तैयार किये थे जिसमे वीएचपी, गुजरात सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के नंबर थे. हालांकि राहुल ने वीआरएस लेने के पीछे अपना निजी कारण बताया है लेकिन माना जा रहा है कि राहुल शर्मा बदले हालात में उस सरकार के अधीन काम नहीं करना चाहते.

प्रताड़ित महसूस कर रहे  थे

शर्मा के करीबियों का कहना है कि वह सरकार से प्रताड़ित महसूस कर रहे थे . मीडिया ने जब उनके वीआरएस के लिए आवेदन देने पर सवाल किया कि क्या वह राज्य सरकार के द्वारा उनके खिलाफ बदले की भावना से काम करने के कारण रिटायरमेंट ले रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार के किसी व्यवहार को नाकारात्मक रूप से नहीं देखते.

बताया जाता है कि अपनी पत्नी की मौत के बाद राहुल ने अपना ट्रांस्फर गांधीनगर करने की मांग की पर सरकार ने उस मांग को ठुकरा दिया था .

अपने कार्यकाल के दौरान राज्य सरकार ने उनके खिलाफ छह बार कारण बताओ नोटिस जारी किया था. उनमें से वे दो नोटिस भी शामिल हैं जिनमें किसी रिपोर्ट में स्पेलिंग की गलती हो गयी ती और एक नोटिस तो इसलिए जारी की गयी ती क्योंकि उन्होंने अच्छे काम करने पर कुछ ड्राइवरों को नकद राशि इनाम में देने की घोषणा की थी.

हालांकि तकनीकी रूप से एक आईपीएस अफसर 50 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के बाद वीआरएस के लिए आवेदन कर सकता है. शर्मा ने हाल ही में 50 वर्ष पूरे कर लिये हैं. 50 वर्ष पूरे करने के तत्काल बाद उन्होंने रिटायरमेंट के लिए आवेदन कर दिया है.

By Editor

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