मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया, जिसका फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हैं. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों का संविधान पीठ ने कहा कि करप्शन राष्ट्रीय आर्थिक आतंक बन गया है. भारतीय लोकतंत्र में संविधान के भारी मेंडेट के बावजूद राजनीति में अपराधीकरण का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. कानून का पालन करना सबकी जवाबदेही है. कोर्ट ने कहा कि वक्त आ गया है कि संसद ये कानून लाए ताकि अपराधी राजनीति से दूर रहें. 

नौकरशाही डेस्‍क

जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ़ नरीमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की कोर्ट ने कहा कि क़ानून बनेगा तभी अपराधी राजनीति से दूर होंगे.  पैसा, बाहुबल को राजनीति से दूर रखना संसद का कर्तव्य है और राजनीतिक अपराध लोकतंत्र की राह में बाधा है.   उम्मीदवारों को लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होगी. उम्‍मीदवारों को फ़ॉर्म में मोटे अक्षरों में चुनाव आयोग को जानकारी देनी होगी. पार्टियों को भी आपराधिक केसों की जानकारी देनी होगी. पार्टियां इन जानकारियों को वेबसाइट पर डालेंगी, इनका प्रचार करेंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूषित राजनीति को साफ करने के लिए बड़ा प्रयास करने की जरूरत है. संसद को इस कैंसर का उपचार करना चाहिए और ये लोकतंत्र के लिए घातक होने से पहले नासूर नहीं है. पांच साल से ज़्यादा सज़ा वाले मुकदमों में चार्ज फ्रेम होने के साथ ही जनप्रतिनिधियों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता. उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक नहीं. पार्टियों को चुनाव से पहले नामांकन के बाद तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर उम्मीदवारों के सभी रिकॉर्ड की तफसील से प्रकाशित प्रसारित करानी होगी. कोर्ट ने कहा कि ये संसद का कर्तव्य है कि वो मनी एंड मसल पावर को राजनीति से दूर रखे. आपको बता दें कि 1518 नेताओं पर केस दर्ज हैं जिसमें 98 सांसद हैं. नेताओं पर 35 पर बलात्कार, हत्या और अपहरण के आरोप हैं. महाराष्ट्र के 65, बिहार के 62, पश्चिम बंगाल के 52 नेताओं पर केस दर्ज हैं.

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