बिहार विधानसभा का अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी दलितों के पक्ष में जोदार गरजे. उन्होंने साफ कहा कि इस देश में दलितों और आदिवासियों का तब तक भला नहीं हो सकता जब तक कि उनके लिए पृथक निर्वाच क्षेत्र न दिया जाये.

उन्होंने कहा कि आरक्षित क्षेत्र से चुने जाने वाले प्रतिनिधि सिर्फ दलितों के वोट से नहीं जीतते इसलिए वह दलितों के हितों की पूर्ति नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा कि तमाम दलितों को अलग निर्वाचक मंडल की मांग बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने भी की थी पर इसे नहीं माना गया था.

चौधरी नई दिल्ली में नेशनल कंफेड्रेशन ऑफ दलित आर्ग्नाइजेशन्स के राष्ट्री सम्मेलन के अंतिम सत्र को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने कहा कि दलित समुदाय के लोगों की यह आम शिकायत है कि दलित समुदाय के लोगों की यह वाजिब शिकायत है कि उनके समाज के चुने प्रतिनिधि उनके लिए काम नहीं करते.

उन्होंने कहा कि दलित प्रतिनिधियों की मजबूरी होती है कि वह मौजूदा निर्वाचन प्रणाली के तहत खुल कर दलितों के लिए काम नहीं कर सकते. ऐसे में अलग निर्वाचन क्षेत्र ही ऐसी समस्याओं का समाधान है.

चौधरी ने कहा कि अनुसूचित जाति-जन जाति एट्रोसिटीज एक्ट हाथी का दांत है जिसको कभी लागू नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि दलितों को मूर्ख बनाने के लिए यह दिखावे का कानून बनाया गया है. उन्होंने कहा कि या तो इस एक्ट को प्रभावी बनाया जाये या इसे हटा ही दिया जाये. चैधरी ने कहा कि दलितों का भला तब तक नहीं हो सकता जब तक हमें बाबा साहब की पृथक निर्वाचक मंडल की मांग पूरी नहीं होती.

उदय नारायण चौधरी ने नैकडोर के अध्यक्ष अशोक भारती के कामों की सराहना करते हुए कहा कि वह दलितों में व्याप्त अंधविश्वास को खत्म करने का अभियान चलायें क्योंकि दलितों के पिछड़ेपन का एक कारण अंधविश्वास भी है.

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