बिहार में हुए नक्सली मुठभेड़ के मामले में कुछ तथ्य सामने आए हैं, जिसमें ज्ञात हुआ है कि नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर औरंगाबाद के एसपी बाबूराम की हत्या की षडयंत्र रची थी। औरंगाबाद और गया के सीमावर्ती जंगलों व पहाडिय़ों पर औरंगाबाद के एसपी बाबूराम की हत्या की साजिश मोस्टवांटेड नक्सली कमांडर संदीप यादव उर्फ विजय यादव ने रची थी।baburam

ब्यूरो,मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट।

इस हमले को अंजाम देने के लिए संदीप ने पुलिस के मुखबिरों को अचूक हथियार की तरह इस्तेमाल किया। संदीप ने यह साजिश लुटुआ नाला की पहाडिय़ों पर एक जन-अदालत बिठाकर रची थी। इस जन अदालत का आयोजन हमले से ठीक पांच दिन पहले किया गया था।

मुखबिरों को दिया सशर्त जीवनदान

केंद्रीय सुरक्षा बलों को उनकी खुफिया शाखा ने जानकारी दी है कि विगत 8-9 जुलाई की रात संदीप यादव ने लुटुआ नाला की पहाडिय़ों पर एक जन अदालत का आयोजन किया था। इसमें पुलिस के कई मुखबिरों को नक्सलियों द्वारा पकड़कर लाया गया था। बताया जाता है कि जन अदालत में कुछ मुखबिरों की हत्या करने की योजना थी। लेकिन, संदीप यादव ने इन मुखबिरों को काफी डांट-फटकार के बाद सशर्त जीवनदान दे दिया था।जान बख्शने की लगाई ये कीमत- जान बख्शने की यह शर्त रखी गई कि वे औरंगाबाद के एसपी बाबूराम को सोनदाहा की पहाडिय़ों और जंगलों की तरफ लाएं। यह नक्सलियों के उस लिबरेटेड जोन में शामिल है, जहां हजारों की संख्या में उन्होंने बारूदी सुरंगों का जाल बिछा रखा है।

पहले भी रची गयी साजिश!

बता दें कि 17 जनवरी, 2011 को संदीप यादव ने कुछ इसी अंदाज में सीआरपीएफ की टुकड़ी को डुमरिया में अपने जाल में फांसा था। तब सीआरपीएफ की पूरी टुकड़ी तो सुरक्षित निकल गई, लेकिन उसका एक जवान बारूदी सुरंग की जद में आकर शहीद हो गया था।

कौन है संदीप यादव ?

संदीप यादव मूलरूप से गया का ही रहने वाला है। उसपर बिहार में जहां 50 हजार रुपये का इनाम घोषित है वहीं झारखंड सरकार ने उसके सिर पर एक लाख का इनाम घोषित कर रखा है। खुफिया सूत्रों की मानें तो दो सप्ताह पहले झारखंड में गढ़वा के जंगलों में पुलिस के साथ संदीप यादव के दस्ते की कई घंटों तक मुठभेड़ चली थी। वहां से भागकर संदीप का दस्ता गया-औरंगाबाद की सीमा लुटुआ नाला के जंगलों में छुपा था।

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