नीतीशजी! मुजफ्फरपुर रेप पर पहले दरिंदों ने फिर आपकी सरकार ने बिहारियों का सर शर्म से झुका दिया

आदरणीय नीतीशजी! आपका हर काम आलोचना के काबिल नहीं है.कई काम हैं जिसकी प्रशंशा हुई है.सत्ता में आने के बाद आप हम बिहारियों से कहते रहे हैं कि बिहारी होना कभी शर्म की बात थी पर अब गर्व की बात है, तो हम बिहारियों के सामने उम्मीदें हिलोड़ें मारने लगती थीं. लेकिन पिछलने दिनों देश के उच्चतम न्यायालय ने जिस तरह आपकी सरकार पर टिप्प्णी की वह हम बिहारियों के माथे पर कलंक है.

इर्शादुल हक

न्यायालय ने यह टिप्पणी मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 34 बेसहारा बच्चियों के रेप मामले में आपकी सरकार द्वारा घोर असहयोग के कारण की है. शायद ही इससे पहले अदालत ने राज्य के मुख्यसचिव को पटना से दिल्ली चंद घंटों की मोहलत पर तलब करने का हुक्म दिया हो. यह कहते हुए कि पटना से दिल्ली का सफर (हवाई जहाज से) दो घंटे का है. अदालत का साफ कहना था कि आपके अफसरान अदालत को सहयोग नहीं कर रहे. चीफ जस्टिस को तब यहां तक कहना पड़ा कि ‘इनफ इज इनफ’. इतना ही नहीं अदालत ने बेसहारा बच्चियों के मुकदमे को बिहार से खीच कर दिल्ली की कोर्ट में शिफ्ट कर दिया.

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मुझे नहीं लगता कि बिहार के सिस्टम के लिए इससे ज्यादा शर्म की कोई और बात हो सकती है. हम बिहारी इस बात से चिंतित हैं कि आपके सिस्टम, आपकी सरकार के नाकारेपन का अपमान बिहारियों को क्यों झेलना चाहिए ?

थेसिस चोरी पर भी अपमानित हुआ था बिहार

नीतीशजी हमें याद आ रहा है कि जेएनयू के एक स्कॉलर के रिसर्च को आपके इसी सिस्टम ने आपके नाम से प्रकाशित कर दिया था. अगस्त 2017 में इसे दिल्ली की अदालत ने थेसिस की चोरी यानी प्लेग्यारिज्म करार दिया था. इसके पादाश में अदालत ने आप पर 20 हजार रुपये का जुर्माना तक लगाया था. हमे यह प्रमाणिक तौर पर कभी मालूम नहीं हो सकेगा कि किसी की कॉपीराइट को उडाने में किस अफसर या स्कालर ने बेशर्मी दिखाई, पर जिसने या जिस स्तर से भी यह गड़बड़ी हुई थी उसका जुर्म आपके सर पर ही तो गया था.

हम बिहारी उस घटना से विचलित जरूर हुए.शर्मिंदा भी हुए. पर इतने नहीं, जितना शेल्टर होम रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो सख्त टिप्पणी की वह तो सचमुच घोर अपमान जनक है.

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आदरणीय नीतीशजी! राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते आप हम बिहारियों के अभिभावक भी हैं.  हमारी बेसहारा गरीब बच्चियों के साथ मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में जो दरिंदगी हुई वह हम सबके लिए और एक अभिभावक के नाते आपके लिए भी हृदयविदारक था. ऐसे दरिंदों को उनके ठिकाने तक पहुंचाने के लिए आपकी सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिये थे जो एक नजीर बन जाती. ऐसा करने से हम बिहारियों को और खास कर आप जैसे अभिभावक के दिल को कुछ हद तक तसल्ली मिल जाती.

लेकिन कुछ ऐसी ताकते हैं जो इस अपराध के मेन अक्युज्ड ब्रेजेश ठाकुर समेत दिगर लोगों को बचाने की कोशिश करती रही. इसे ऊपरी अदालत ने कुछ महीने पहले ही भांप लिया था और उसे बिहार से बाहर की जेल में शिफ्ट करने का हुक्म दिया था.

 

ब्रेजेश को बिहार से बाहर शिफ्ट करने का मामला भी हम बिहारियों के लिए शर्म की बात थी क्योंकि इससे हमारे जेल सिस्टम की कलई खुल गयी. गृह विभाग के भी मंत्री आप हैं और पूरे बिहार के अभिभावक तो आप हैं ही. इससे आपकी विश्वसनीयता और सिस्टम पर आपकी लचर पकड का पता चलता है.

शर्मिंदगी के घूट

इसी तरह आपके पुलिसिया सिस्टम को तब भी अपमान का घूंट पीना पड़ा था जब समाज कल्याण मंत्री रहीं मंजू वर्मा का इसी मामले में बेल रिजेक्ट हो जाने के बावजूद उन्हें कई दिनों तक गरिफ्तार नहीं किया गया.

सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी के बाद आपका यह कहना कि इस मामले को आप खुद मॉनिटर करेंगे, कुछ हद तक दिलासा तो देता है, पर सवाल भी खड़े करता है. सवाल यह कि आपकी गिरफ्त सिस्टम पर है भी या नहीं?

ढीली होती पकड़

मुख्यमंत्रीजी पिछले कुछ सालों से आपकी पकड़ी कानून व्यवस्था पर काफी ढ़ीली हो चुकी है. लगातार कत्ल, हिंसा और यहां तक दंगा भी हमारे राज्य की बदनामी का कारण बन रहे हैं.

ऐसी स्थिति में आपको जनता के सामने आ कर यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसी स्थितियों पर कैसे नियंत्रण होगा. नहीं तो लोगों का यह संशय प्रबल होता जायेगा कि कोई अदृश्य शक्ति आपके सिस्टम को नियंत्रित कर रही है औप आप बेबस बने हुए हैं.

आपका शुभ चिंतिक

By Editor