पटना विश्वविद्यालय के पीएमआईआर विभाग के सभागार में “नेपाल आम चुनाव 2017 और भारत” विषय पर सेमीनार का आयोजन किया गया. इस सेमीनार का आयोजन एसोसिएशन फॉर स्टडी एंड एक्शन और डिपार्टमेंट ऑफ़ पीएमआईआर, पटना विश्वविद्यालय के सहयोग से बी. पी. कोइराला सेंटर फॉर नेपाल स्टडीज द्वारा किया गया.
सेमीनार में नेपाल के वर्तमान सांसद तथा पूर्व मंत्री श्री अनिल कुमार झा, सांसद श्री प्रदीप यादव, विधायक मो. अबुल कलाम आज़ाद तथा वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्रकिशोर झा के साथ ही पूर्व प्राचार्य प्रो नवल किशोर चौधरी, पूर्व मंत्री डॉ. संजय पासवान, समाज शास्त्री प्रो. एम. एन. कर्ण, भूदान यज्ञ समिति के अध्यक्ष श्री कुमार शुभमूर्ति, आसा के सचिव डॉ. अनिल कुमार राय, श्री टी. आर. गाँधी, पूर्व प्राचार्य डॉ. पद्मलता ठाकुर, पीएमआईआर की अध्यक्ष प्रो. सुनीता राय, समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. रघुनन्दन शर्मा, श्री रामचंद्र खान सहित अनेक वरिष्ठ शिक्षक, छात्र और गणमान्य लोग उपस्थित थे. सेमीनार की अध्यक्षता प्रो. नवल किशोर चौधरी के द्वारा की गई.

 
सेमिनार के आरंभ में विषय-प्रवर्तन करते हुए प्रो. नवल किशोर चौधरी ने नवनिर्वाचित सांसदों और विधायक को बधाई देते हुए कहा कि नेपाल में हाल में हुए आम चुनाव में जीते हुए दोनों वामदल मिलकर सरकार बनाने के दो तिहाई की संख्या के करीब पहुँच जाते हैं, केवल 16 सांसद कम होते हैं. अन्य दलों से आपसी समझौते के द्वारा इस कमी को पूरा कर लिए जाने की संभावना है. ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि ओली और प्रचंड दोनों मिलकर बारी-बारी से सत्ता संभालेंगे. उन्होंने भारत के साथ संबंधों की संभावना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ओली का झुकाव चीन की और है. ऐसी स्थिति में नेपाल पर यदि चीन का प्रभाव बढ़ता है तो भारत में अमेरिका अपना प्रभाव बढाने की कोशिश करेगा.
नेपाल से आये वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्रकिशोर झा ने कहा कि नेपाल और बिहार का केवल रोटी-बेटी का ही संबंध नहीं है, बल्कि भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि स्तरों पर भी पुरातन संबंध रहा है. सुगौली संधि का केंद्र पटना होने के कारण नेपाल के भूगोल के निर्माण का केंद्र ही पटना था. फिर प्रचंड को बुलेट से बैलेट की और लाने में भी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

 

दोनों तरफ की सामाजिक स्थितियां एक ही प्रकार की हैं. अत: नेपाल और भारत के लोगों की दैनिक समस्यायों को दिल्ली और काठमांडू की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए. नेपाल की सुरक्षा के लिए ही भारत की आवश्यकता नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए भी नेपाल से मैत्रीपूर्ण संबंध को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है. उन्होंने आशंका व्यक्त की कि कम्युनिस्टों के बहुमत में आने कारण नेपाल की सरकार चीन की और झुक जा सकती है.
नेपाल से आये स्वतंत्र विधायक मो. अबुल कलाम आज़ाद ने बताया कि चुनाव में भी चीन का प्रभाव दिख रहा था. उन्होंने मधेसियों की चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मधेस में 51% मधेसी हैं, लेकिन कांग्रेस और कम्युनिस्ट मधेसियों के हितों की रक्षा नहीं करते हैं.
नेपाल से आये नवनिर्वाचित सांसद श्री प्रदीप यादव ने कहा कि भारत नेपाल के साथ हमेशा बड़े भाई की तरह खड़ा रहा है. वहाँ लोकतंत्र आने में भी भारत की बड़ी भूमिका है. उन्होंने नेपाल में मधेसियों के साथ किये जा रहे भेदभाव के प्रति चिंता जाहिर की. दुखी होते हुए उन्होंने कहा की नेपाल में तो मधेसियों को सेना में नहीं ही रखा जाता है, भारत में भी उन्हें सेना में नहीं रखा जाता है. उनकी यह भी चिंता थी कि चुनाव तो हो गए हैं, लेकिन विधानसभाओं का निर्माण नहीं हो पाया है. उनका सुझाव था कि बिहार के मुख्यमंत्री और मधेस के मुख्यमंत्री में समन्वय की व्यवस्था होनी चाहिए.
नेपाल से आये सांसद और पूर्व मंत्री श्री अनिल कुमार झा ने बताया कि मधेस आन्दोलन के चलते ही नेपाल में संघीय शासन व्यवस्था लागो हो सकी है. लेकिन नेपाल का कोई आन्दोलन संपूर्ण क्रान्ति नहीं ला सका. 2 वर्ष पहले लागू हुए संविधान में मधेसियों को कोई अधिकार नहीं मिला, बल्कि मधेसियों के प्रति विभेद को संवैधानिक बना दिया गया है. यह संविधान मधेसियों के अंश और वंश पर आक्रमण करता है. इस संविधान को लागू करने में नेपाली कांग्रेस का बड़ा हाथ है. उन्होंने बताया कि अभी हमारे कन्धों पर दो जवाबदेहियाँ हैं – लोकतंत्र को मजबूत बनाना और सामाजिक न्याय को बहाल करना.
सभा को पूर्व मंत्री डॉ. संजय पासवान, प्रो. एम एन कर्ण, श्री कुमार शुभमूर्ति, श्री टी. आर. गांधी, प्रो. पद्मलता ठाकुर, श्री रामचंद्र खान आदि ने भी संबोधित किया.
अंत में डिपार्टमेंट ऑफ़ पीएमआईआर की और से प्रो सुनीता राय और ‘आसा’ की और से डॉ. अनिल कुमार राय ने धन्यवाद-ज्ञापन किया.

By Editor