रिजर्व बैंक ने अपने इतिहास में पहली बार बैलेंसशिट जारी करने से हाथ खीच लिया है. ऐसा करने से नोटबंदी के प्रभावों का देश को पता तक नहीं चलेगा. आरबीआई के इस भगोड़े स्टैंड को अमित कुमार 2जी और कोल ब्लॉक घोटाला से भी बड़ा  घोटाला बता रहे हैं जिसमें मोदी सरकार की गर्दन फंस सकती है.

 

नोटबंदी एक महाघोटाला है। आरबीआई गवर्नर की दुविधा समझिये। उन्होंने आकाओं के तीन-चार लाख करोड़ नकद रुपये का खेल करने का मौका दिया, अब उसका समायोजन कैसे करें सूझ नहीं रहा है।

गौरतलब है कि आम लोगों से बैंक पुराने नोट गिनकर लेते थे, नए नोट गिनकर वापस करते थे। बैंकों में हर दिन का हिसाब-किताब उसी दिन हो जाता है। विभिन्न बैंक से आरबीआई गिनकर ही पुराने नोट लेता था, बदले में नए नोट जारी करती थी तो नौ महीने बाद तक क्या रहा है आरबीआई?
2G, कोल ब्लॉक आवंटन में तो सीएजी ने 1.75 लाख करोड़ और 2.8 लाख करोड़ के घोटाले का आभासी तथा सनसनीखेज आंकड़ा सनसनी पैदा करने के लिए दिया था। लेकिन इसमें तो सीधा-सीधा कैश का उटलफेर हुआ है। गौर कीजिए–
* आरबीआई स्पष्ट रूप से नहीं बता रहा कितने मूल्य के नए नोट जारी किये?
* कितने मूल्य के हज़ार और पांच सौ के पुराने नोट रद्द किए गए?
* कितने पुराने नोट वापस नहीं आये?
* कितने जाली नोट चलन में थे, कितने पकड़े गए?
* नोटबंदी का मौद्रिक रूप में क्या लाभ हुए?


अब गौर कीजिए कि आरबीआई आकंड़े बताने से भाग क्यों रहा है? अगर वह बता देती है कि सारे पुराने नोट मूल्य के नोट वापस आ गए तो आज भी लाखों लोग हज़ार-पांच सौ के पुराने नोट के साथ सामने आ जाएंगे। इसलिए तो इस सरकार ने पुराने हज़ार-पांच सौ का दस से अधिक नोट रखना गैर कानूनी बना दिया। एक पहलू यह भी है कि एक ख़ास सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों और व्यवसायियों के पास नए नोटों के जखीरे बरामद हुए हैं, इसमें अन्य दूसरे अपवाद स्वरूप ही पकड़े गये हैं! यह क्या महज इत्तेफाक है? घोटाले तीन तरह से हुए हैं — नए नोट छापकर बड़ी मात्रा में पहले ही आकाओं को दे दिए गए।

 

इसके समायोजन के लिए भरसक प्रयास किया गया कि लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए हतोत्साहित किया गया। जिससे लोग पुराने नोट न जमा करें। दूसरा तरीका यह था कि आकाओं के नकली नोट बदले गये। तीसरा उनके काले धन के रूप में रहे पुराने नोट को एकबारगी में नए नोट से बदल दिए गये। इस तरह तीन-चार लाख करोड़ का महाघोटाला हुआ। यह आकंड़े बढ़ भी सकते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट में अपनी निष्पक्षता के विख्यात पूर्व मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में एक सर्वदलीय कमेटी से इसकी पूरी पारदर्शिता से जांच हो तो यह वैश्विक इतिहास का सबसे बड़ा महाघोटाला साबित होगा।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं

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