जब सारा देश नोटबंदी के हाहाकार का शिकार था, बीजेपी के अलावा सारी पार्टियों के नेता उसके विरोध में लामबंद हो गए थे, लेकिन तभी ये नीतीश कुमार थे जो बीजेपी  में नहीं रहते हुए भी नोटबंदी के समर्थन में कूद पड़े थे.

 

नीतीश के इस फैसले पर ज्यादा टार लोगों के होश उड़ गए थे. क्यूंकि सरे देश क लोगों को पता था की इस फैसले से देश के लाखों लोगों की नौकरी चली गयी.

 

हजारो छोटे कारोबारियों के कम थप हो गए. पर नीतीश के उस फैसले को लोगों ने एक उत्पतंग फैसला मन या फिर किसी लालच या डर से लिया गया फैसला था.

अज डेढ़ साल बाद नीतीश ने फिर से सब को अचरज में डालने वाला बयान  दिया  है. आज उन्हों ने कहा ‘ मैं पहले नोटबंदी का समर्थक था लेकिन इससे फायदा कितने लोगों को हुआ? कुछ लोग अपना पैसा एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट कर ले गए।’

 

उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में बैंकों की बड़ी भूमिका है। बैंकों का काम सिर्फ जमा, निकासी और लोन देना ही नहीं रह गया है, बल्कि एक-एक योजना में बैंकों की भूमिका बढ़ गई है। उन्होंने कहा, ‘बिहार के लोगों में कर्ज लेने की आदत ज्यादा नहीं है, जो लेना भी चाहते हैं, उसके बैंकों ने कड़े मापदंड तय कर रखे हैं। उसमें उन्हें काफी परेशानी होती है।’

 

नीतीश यूँ ही अपने बयानों से पलटने वाले नेता नहीं हैं. वह लाभ हानि का पूरा हिसाब लगते हैं. घटा नुकसान के तराजू पर अपने स्टैंड का तौलते हैं. पूरा गुना भाग कर लेने के बाद ही नीतीश बोलते हैं.  नोटबंदी की घोषणा के कई दिनों  तक नीतीश चुप थे. वो महागात्बंधन का हिस्सा थे. उनकी चुप्पी सब को खल रही थी. लेकिन अचानक उन्हों ने एकदिन बयां दिया की नोट बंदी भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का बड़ा फैसला है. इसके साथ केंद्र को बेनामी संपत्ति पर  कार्यावाई करनी चाहिए.

 

लेकिन अब नितीश नोटबंदी के खिलाफ होगये हैं. मतलब वह. मोदी के खिलाफ जा रहे हैं. वोह मोदी के सामने आत्मसमर्पण कर चुके थे. तब से उनके बारे में ये सोच विक्सित होने लगी थी के नीतीश की हैसियत मोदी के सामने कुछ नहीं. लेकिन अब नीतीश अब अपनी उस छवि से निकलना चाहते हैं. लेकिन अब नीतीश ने जो गवां दिया है उसकी भरपाई शायद मुमकिन नह्ही है.

 

आप अपनी सविधा के लिए विचार को अलग अलग ढंग से, परिभाषित नहीं कर सकते. लेकिन नीतीश ने ऐसा ही किया है. तेजश्वी यादव नीतीश के इस स्टैंड को यू  टर्न मान रहे हैं.  इस से नीतीश की एक गंभीर राजनेता वाली छवि धूमिल हुई है.

By Editor