न्यू मीडिया के तेजी से विकास के इस दौर में ट्रेडिशनल मीडिया की चुनौतियां बढ़ गयी हैं. हालांकि इस दौरान नाकारात्मक पक्ष उभरे हैं फिर भी मीडिया में सकारात्मक तत्व अपनी जगह कायम हैं.

संतोष सिंह, संजय कुमार, इर्शादुल हक
संतोष सिंह, संजय कुमार, इर्शादुल हक

लीना, मीडिया मोर्चा

पटना पुस्तक मेला में नौकरशाही डॉट कॉम की ओर से मेनस्ट्रीम मीडिया बनाम अल्टरनेटिव मीडिया पर परिचर्चा आयोजित हुई। इसमें दूरदर्शन समाचार के संपादक संजय कुमार, कशिश टीवी के संतोष सिंह और नौकरशाही डॉट कॉम के इर्शादुल हक ने हिस्सा लिया।

 

पटना दूरदर्शन के समाचार संपादक संजय कुमार ने कहा कि मीडिया में आज भी सकारात्मक तत्व मौजूद हैं। इसके बावजूद मीडिया समाज के वंचित वर्ग की ख़बरों को प्रमुखता से जगह नहीं देता है। इसकी वजह है कि मीडिया में वंचितों की भागीदारी नहीं के बराबर है। परम्परिक मीडिया जब वंचितों की बात नहीं करता तो ऐसे में इंटरनेट मीडिया विकल्प बन गया है। ख़ास कर सोशल मीडिया को वंचित एक हथियार के तौर पर प्रयोग कर अपनी बात को पोस्ट करते है।

वहीँ संतोष सिंह ने कहा कि पत्रकारों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। जबकि सोशल मीडिया ने दलित व महिलाओं की आवाज बुलंद की है। पत्रकारों के लिए यह ख़बरों का एक स्रोत और साथ ही पारंपरिक मीडिया पर खबर बनाने के लिए दवाब का भी काम करता है।

नीरज ने मंच का सञ्चालन करते हुए पारंपरिक और इंटरनेट मीडिया पर विस्तार से प्रकाश डाला। नीरज ने कहा कि मीडिया ने परिवर्तन के दौर देखे हैं और इस दौर में इन्टरनेट मीडिया तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। लेकिन इसके विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं।

इर्शादुल हक ने भी अपने विचार रखे। इस विषय पर बोलते हुए इर्शादुल हक ने कहा कि मीडिया को देखने का नजरिया बदलना चाहिए। मीडिया अब अर्थतंत्र में बदल चुका है। बाजार के इस दौर में खबर भी एक उत्पाद बनकर रह गया है। सोशल मीडिया तो एटम बम की तरह है। इसका दुरुपयोग बढ़ा है। इसका सही इस्तेमाल होना चाहिए।

By Editor