पटना के दीघा-पाटीपुल के पास आज यानी रविवार को हुए एक भयंकर नाव हादसा जिसमें 40 लोगों से ज्यादा लोगों का उफनती गंगा नदी में डूब जाने की आशंका है

फाइल फोटो
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विनायक विजेता

50 लोगों को लेकर मोटर चालित नाव लेकर अभी चली ही थी कि सामने से बालू लदी नाव ने इसे टक्कर मार दी. शाम को घटी इस दुर्घटना में स्थानीय नाविकों ने अनेक लोगों को बचा लिया. हालांकि आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर लोगों को बचा लिया गया है. मरने वालों की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल पाया है.

इस दुर्टना ने नीतीश सरकार के वर्षों पहले किए गए दावे और वादे की पोल खोल दी है. पिछले साल पटना और बक्सर सहित कई जगह नाव दूर्घटनाए हुर्इं थी इसके बाद नीतीश कुमार और उनकी सरकार ने हर नावों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य और नावों पर क्षमता से अधिक व्यक्ति बैठाने पर रोक संबंधी अध्यादेश और इसपर कडाई से अमल की घोषणा की तो की थी. पर इस घटना ने सरकार की कलई खोल कर रख दी है.

सरकार ने घोषणा की थी कि ऐसे नावों की प्रतिदिन मॉनेटरिंग और उनपर कार्रवाई की जाएगी जो क्षमता से ज्यादा रविवार को उफनती गंगा में एक बालू भरे नाव से टकराने के बाद 90 से अधिक यात्रियों को लेकर गंगा के उस पार नकटा दियारा इलाके के लिए निकली एक नाव, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. इनमें से अधिकांश के डूब जाने की आशंका है। हालांकि बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीम को लगाया गया है पर जहां तक जानकारी है इस तरह की कोई भी आपदा प्रबंधन टीम रात में किसी बचाव कार्य को अंजाम नहीं देती वह भी जब गंगा उफान पर हो और खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर उपर बह रही हो।

हालांकि एनडीआरएफ ने जनता को संतुष्ट करने के लिए उस घाट पर जेनेरेटर की व्यवस्था करने का प्रशासन से अनुरोध किया है जिस घाट से यात्रियों से भरी यह नाव नकटा दियारा इलाके के लिए रवाना हुई थी।

रविवार को हुई नाव दूर्घटना ने नीतीश कुमार और उनकी सरकार के दावे और वादे को एक बार फिर बेनकाब कर दिया। इस घटना के बाद कई महिलाओं के उजडे सिंदूर, कई बच्चों के सिर से उठे माता या पिता के साये की भरपाई भले ही नीतीश कुमार या उनकी सरकार मुआवजे की घोषणा से पूरी करने की कोशिाश करें पर जनता के उन आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति नीतीश कैसे करेंगे जिस जनता ने नीतीश कुमार को कभी बिहार के भविष्य के रुप में देखा था।

By Editor