16 वीं बिहार विधान सभा के गठन के बाद नयी सरकार ने एक बात साबित कर दी है कि लोकतांत्रिक संस्‍थाओं का दायरा सिमटता जा रहा है और राजनीति भी कुछ परिवार की कैद होती जा रही है। संविधान भले ही व्‍यस्‍क मताधिकार की बात करता हो, लेकिन आम आदमी का मन-मिजाज आज भी राजशाही से मुक्‍त नहीं हुआ है।nitish

वीरेंद्र यादव

 

28 में 12 मंत्रियों के परिजन भी रहे चुके हैं मंत्री-विधायक

हर जिलों में एक नया राजनीतिक परिवार पैदा हो गया है। पंचायत से लेकर लोकसभा के चुनाव तक इसका असर देखा जा रहा है। हालांकि इसका सामाजिक चरित्र और जातीय स्वरूप बदल गया है। आजादी के बाद सवर्ण जातियों का राजनीतिक परिवार था,  लेकिन आपातकाल के बाद पिछड़ी जातियों का राजनीतिक परिवार तेजी से बढ़ा है। उसमें भी यादव जाति की नयी-नयी विरासत खड़ी हो गयी है। कई जिलों में एक ही घराने के दो परिवारों की स्पर्धा बढ़ गयी है। वर्तमा सरकार के 28 मंत्रियों में से 13 मंत्रियों के परिजन पहले भी राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसमें महागठबंधन के तीनों दलों के मंत्री शामिल हैं। इसे हम सरकार का ‘पारिवारीकरण’ नहीं कहें तो भी इतना तय है कि ‘सत्ता की मलाई’ कुछ परिवारों में कैद होने लगी है। इसकी वजह अलग-अलग हो सकती है। उसमें पहला है हमारा राजतांत्रिक स्वभाव। आम आदमी राजा की अवधारणा से अलग नहीं हो पाता है। आम बोलचाल की भाषा में समृद्ध परिवार के लिए राजा का विशेषण ही दिया जाता है। दूसरी वजह है कि आजमाया हुआ नेता। जनता को लगता है कि एक ही परिवार के नेता के रहने से विकास कार्यों में तेजी आ सकती है और उसके पारिवारिक अनुभव का लाभ मिल सकता है। तीसरा है जीतने की क्षमता। कुछ परिवारों का राजनीतिक जनाधार भी होता है। इसका लाभ भी मिल जाता है।

 

परिवारपरस्ती के कई कारण हैं

जनता की परिवारपरस्ती का लाभ अब मंत्रिमंडल में भी मिलने व दिखने लगा है। इसकी वजह राजनीतिक मजबूरी और जरूरत हो सकती है। राजद प्रमुख लालू यादव के दो पुत्र तेजस्‍वी यादव व तेजप्रताप यादव के सरकार में शामिल होने को लेकर को काफी चर्चा रही। कई आरोप भी लगे। लेकिन पारिवारिक विरासत वाले कई अन्य मंत्री भी शामलि हैं। राजद कोटे में परिवहन मंत्री चंद्रिका पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय के पुत्र हैं। श्रम संसाधन मंत्री विजय प्रकाश राजद सांसद व राज्‍य सरकार में मंत्री रहे जयप्रकाश नारायण यादव के भाई है। आलोक मेहता पूर्व मंत्री तुलसीदास मेहता के पुत्र हैं। पर्यटन मंत्री अनिता देवी पूर्व मंत्री आनंद मोहन की विधवा हैं। आंनद मोहन का राजद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ही हार्ट अटैक होने के कारण देहांत हो गया था। कांग्रेस कोटे के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी के पिता महावीर चौधरी कांग्रेस राज में कई बार मंत्री रह चुके थे। जबकि राजस्‍व व भूमि सुधार मंत्री मदन मोहन झा के पिता नागेंद्र झा भी राज्य सरकार में मंत्री रह चुके थे।

जदयू कोटे के शैलेश कुमार के पिता सुरेश कुमार सिंह 1971 और 1977 में विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वे 1974 के छात्र आंदोलन में भी सक्रिय थे और विधान सभा से इस्‍तीफा देने वालों में शामिल थे। उन्‍होंने जमालपुर का ही प्रतिनिधित्व किया था, जहां से शैलेश कुमार अभी विधायक हैं। कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा के पिता सुखदवे प्रसाद वर्मा राज्य सरकार में मंत्री के साथ ही सांसद भी रह चुके थे। तत्कालीन गया जिले की राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ थी। मंजु वर्मा के ससुर चेरिया बरियारपुर से सीपीआई के विधायक 1980 में चुने गए थे।

जिनके परिजन रह चुके हैं मंत्री-विधायक

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मंत्री का नाम  —– परिजन —– रिश्ता —– पद

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तेजस्वी यादव —– लालू यादव —– पिता —– पूर्व मुख्यमंत्री

तेजप्रताप यादव —– लालू यादव —– पिता —– पूर्व सीएम

अशोक चौधरी —– महावीर चौधरी —– पिता —– पूर्व मंत्री

आलोक मेहता —– तुलसीदास मेहता —– पिता —– पूर्व मंत्री

चंद्रिका राय —– दारोगा प्रसाद राय —– पिता —– पूर्व मुख्यमंत्री

कृष्णनंदन वर्मा —– सुखदेव प्र वर्मा —– पिता —– पूर्व मंत्री

महेश्वर हजारी —– रामसेवक हजारी —– पिता —– पूर्व विधायक

मदनमोहन झा —– नागेंद्र झा —– पिता —– पूर्व मंत्री

शैलेश कुमार —– सुरेश प्रसाद सिंह —– पिता —– पूर्व विधायक

मंजु वर्मा —– सुखदेव महतो —– ससुर —– पूर्व विधायक

मुनेश्वर चौधरी —– जगलाल चौधरी —– दादा —– पूर्व मंत्री

अनिता देवी —– आनंद मोहन सिंह —– पति —– पूर्व मंत्री

विजय प्रकाश —– जयप्रकाश ना. यादव —– भाई —– सांसद व पूर्व मंत्री

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