उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष मंगलवार को देश के पहले लोकपाल नियुक्त किये गये। राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत के राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त करते हुए खुशी जाहिर की है।


राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने न्यायमूर्ति दिलीप बी. भोसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी और न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी को लोकपाल का न्यायिक सदस्य नियुक्त किया है। श्री कोविंद ने  दिनेश कुमार जैन,  अर्चना रामसुंदरम, महेन्द्र सिंह और डॉ इंद्रजीत प्रसाद गौतम को लोकपाल का गैर न्यायिक सदस्य नियुक्त किया है।

ये सभी नियुक्तियां संबंधितों के पद ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होंगी। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किये जाने की अनुशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और प्रख्यात कानूनविद् मुकुल रोहतगी की सदस्यता वाली चयन समिति ने की थी।

 

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे को समिति में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था लेकिन वह बैठक में नहीं आये। न्यायमूर्ति घोष की यह नियुक्ति उच्चतम न्यायालय की ओर से इसके लिए समय सीमा निर्धारित कर दिये जाने के बाद की गयी। न्यायमूर्ति घोष ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की निकट सहयोगी शशिकला को भ्रष्टाचार के मामले में सजा सुनायी थी। न्यायमूर्ति घोष 27 मई 2017 को उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए थे। वह जून 2017 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं।  उन्होंने आठ मार्च 2013 को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवायें शुरू की थी। लोकपाल चयन के लिए समिति की ओर से सूचीबद्ध किये गये 10 नामों में न्यायमूर्ति घोष का नाम शामिल था।

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