प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जांच रिपोर्ट ने हिंदुस्तान अखबार की धोखाधड़ी की भी कलई खोल कर रख दी है. पढिये कि कैसे इस मीडिया घराने ने सरकार से सांठगांठ करके 200 करोड़ की विज्ञापन लूट को अंजाम दिया.

प्रस्तुत है प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जांच रिपोर्ट का एक अंश- यह रिपोर्ट इसी हफ्ते जारी हुई है.

मल्टी एडिशन वाले बड़े अखबार जैसे हिंदुस्तान बिहार के अनेक जिलों से प्रकाशित होता है.इस अखबार ने बोगस रजिस्ट्रेशन नम्बर का सहारा लेकर सरकार से सैकड़ों करोड़ रुपये का विज्ञापन ले रखा है. जबकि रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज पेपर ने बिना रजिस्ट्रेशन के समाचार पत्र प्रकाशन को गैरकानूनी करार दे रखा है.

समाचार पत्र या पत्रिका के प्रकाशन के लिए आरएनआई की अनुमित लेना अनिवार्य है.जब कमेटि ने( प्रेस काउंसिल की जांच कमेटी) ने अखबार के प्रबंधन से इस संबंध में बातचीत की तो उनकी तरफ से कोई सही जवाब देने के बजाये वो एक शब्द भी नहीं बोल सके.

हालांकि बाद में उन्होंने आरएनआई नम्बर की जगह पर “अप्लाइड फॉर” लिखना शुरू कर दिया.यह भी नियमों का घोर उल्लंघन है और ऐसी स्थिति में भी इस अखबार को विज्ञापन नहीं दिया जाना चाहिए. जबकि यह अखबार सरकार से मिलीभगत करके करोड़ों का विज्ञापन ले रहा है.प्रेस बुक रजिस्ट्रेशन एक्ट 1867 के तहत अखबार के प्रकाशन के लिए नियमों का पालन जरूरी है.लेकिन यह अखबार इस नियम का पूरी तरह से उल्लंघन करता रहा.

यह मुद्दा पटना हाईकोर्ट में भी अभी विचाराधीन है. उम्मीद है कि इसी वर्ष यानी 2013 में कुछ बड़े खुलासे कोर्ट की पहल पर सामने आ सकते हैं.

क्रिमिनल रिट पेटिशन की सुनवाई करते हुए( सं-2951/2012) जस्टिस अंजना प्रकाश ने 17 दिसम्बर 2012 को इस मामले में चल रही जांच में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया है.यह मामला मुंगेर के कोतवाले थाने में दर्ज किया गया है. अंजना प्रकाश ने इस मामले में साफ आदेश दिया है कि हिन्दुस्तान अखबार के खिलाफ इस तहकीकात को तीन महीने के अंदर पूरी कर ली जाये.

अदालत ने हिन्दुस्तान अखबार द्वारा विज्ञापन नियमों का घोर उल्लंघन करके विज्ञापन लेने के मामले को भी संज्ञान में लिया है. आरोप है कि इस तरह की धोखाधड़ी करके हिन्दुस्तान अखबार ने 200 करोड़ रुपये का विज्ञापन ले लिया है.हिन्दुस्तान अखबार भागलपुर से 3 अगस्त 2001 से प्रकाशित हो रहा है.इसके बाद यह अखबार मुंगेर से भी प्रकाशित होने लगा. यहां से प्रकाशित किये जाने में नियमों का जबर्दस्त उल्लंघन किया गया. इस बात का प्रमाण बिहार सरकार के वित्त विभाग की ऑडिट रिपोर्ट संख्या 195य2005-06 में भी दर्ज है.

यह पाया गया है कि भागलपुर से छपने वाले दैनिक हिन्दुस्तान ने 2001 से 2011 तक जो रजिस्ट्रेशन नम्बर अखबार में दिखाया है वह 44348/86 है जबकि यह नम्बर इस अखबार को पटना एडिशन के लिए मिला है. लेकिन जुलाई 2011 से लेकर 16 अप्रैल 2012 तक रजिस्ट्रेशन नम्बर की जगह अखबार ने “अप्लायड फॉर” लिखा. इसके बाद 17 अप्रैल 2012 से अखबार ने RNI no – BIHHIN/2011/41407 लिखना शुरू कर दिया.

इस संबंध में अदालत ने पाया है कि केस नम्बर 445/2011 जो इस अखबार के खिलाफ मुंगेर में दर्ज किया गया है, बिल्कुल सही है. इस मामले में पांच लोगों को नामित आरोपी बनाया गया है. इनके नाम इस प्रकार हैं- 1- शोभना भरतीया, चैयर पर्सन हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लि. 2- शशि शेखर, मुख्य सम्पादक हिंदुस्तान. 3- एके श्रीवास्तव कार्यकारी सम्पादक पटना. 4- विनोद बंधु स्थानीय सम्पादक भागलपुर संस्करण और 5- अमित चोपड़ा प्रिंटर पब्लिशर हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लि. नयी दिल्ली.

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