पटना में आयोजति 43वीं ऑल इंडिया पुलिस साइंस कांग्रेस के दौरान दस प्रस्तावों को स्वीकार किया गया है इसके तहत कानून के दायरे में रह कर विज्ञान आधारित अनुसंधान व अनुसांधान की स्वच्छ प्रक्रिया के तहत पुलिस को पब्लिक फ्रेंडली बनाने पर जोर दिया गया है.

साभार टेलिग्राफ

इस अवसर परसुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम ने कहा कि पुलिस अनुसंधान वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित हो, तो न्याय करना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि चूंकि निर्धारित समय में अनुसंधान पूरा करने की जिम्मेवारी आइओ की होती है. इसलिए न्याय के नतीजे उनके अनुसंधान पर निर्भर करते हैं.

आफ्ताब आलम ने पुलिस प्रशासन में महिलाओं की कम संख्या पर चिंता व्यक्त की. पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने कहा 1865 की इंपीरियल पुलिस के चरित्र से अलग वर्तमान पुलिस डेमोक्रेटिक बन चुकी जिस से आमलोग पुलिस से सुपर हीरो की कल्पना करते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि वैज्ञानिक जांच के आधार पर अनुसंधान होने से जजों को भी उसकी समझ बनानी होगी. इसके लिए न्यायाधीश व पुलिस अधिकारियों को एक साथ प्रशिक्षण प्रदान करना होगा.

इस अवसर पर बिहार के डीजीपी अभयानंद ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बिहार के लिए साइंस कांग्रेस काफी लाभदायक रही. इसमें कई नये अनुभव पुलिस अधिकारियों को प्राप्त हुए हैं. विज्ञान न्यूट्रल होता है. पुलिस अनुसंधान को इस दिशा में ले जाने की जरूरत है.

तीन दिनों तक चलने वाली पुलिस साइंस कांग्रेस में विभनिन्न राज्यों के पुलिस अधिकारियों ने गहन मंथन किया जिसमें इस बात पर जोर दिया गाया कि अपराध के अनुसंधान को वैज्ञानिकता की कसौटी पर ही आगे बढ़ाया जा सकता है जिस से संतोषजनक परिणाम निकल सकते हैं.

पुलिस कांग्रेस के पहले सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो रदे कर कहा था कि आर्थिक अपराध जैसे गम्भीर मुद्दे पर भी पुलिस को गहन मंथन और विचार विमर्श करने की जरूरत है क्योंकि अपराध का महत्वपूर्ण पक्षा आर्थिक भी होता है.

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