नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ़ दलित आर्गनाइजेशंस ( नैकडोर) का सम्मान मार्च 5 दिसंबर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद मार्ग पहुंचा. इसके बाद नैकडोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती के नेतृत्व में राष्ट्रीय दलित महासभा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर नैकडोर ने एक प्रस्ताव पारित कर मांग की कि आँध्रप्रदेश सरकार की तरह केंद्र सरकार भी अनुसूचित जाति-जनजाति उपयोजना के तहत इन समुदायों के लिए बजट में आबादी के अनुपात में भागीदारी सुनिश्चित करे.

नैकडोर के पांच दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन के दुसरे दिन रैली को संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता एबी वर्धन ने कहा कि भारतीय संसद करोड़पतियों से भारती जा रही है ऐसे में यहाँ दलितों और पिछड़ों के प्रतिनिधितव की सम्भावना ख़त्म होती जा रही है. वर्धन नें मांग की कि अब वक़्त आ गया है कि संसद में अनुपातिक प्रतिनिधितव का तरीका अपनाया जाये. इसके लिए संसद में प्रतिनिधितव को राजनितिक पार्टियों को मिले वोट के अनुपात के आधार पर तय किया जाए.
रैली को संबोधित करते हुए नेशनल कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ दलित आर्गनाइजेशंस (नैकडोर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती ने कहा कि देश के संसाधनों पर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों का अधिकार तभी सुरक्षित रह सकता है जब संसाधनों के स्वामित्व और बजट में इनकी आबादी के आधार पर उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए. भारती नें नैकडोर की राष्ट्रीय महासभा के उद्देश्यों के बारे में बात करते हुए कहा कि हम इसके माध्यम से दलित और गैर दलित की खाई को पाटने का संघर्ष कर रहे हैं. उनहोंने मांग की कि संविधान ने सभी को जो समानता का अधिकार देने का वादा किया है, सरकार उसे पूरा करे. उन्होंने कहा कि यह सम्मलेन दलितों द्वारा किये जा रहे प्रयासों में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंन इस दिशा में गैर दलितों से उदार सहयोग की अपील की.

रैली को संबोधित करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वृंदा करात ने कहा कि पूंजीवाद ने पिछले दो दशकों में शोषण की प्रथा को देश में संस्थागत रूप दे दिया है, जिसका सबसे बुरा प्रभाव दलित समाज पर पड़ा है. जिसके कारण सरकारी उद्यम द्वारा ठेके का निजाम प्रचालन में आया है परिणामस्वरूप कमज़ोर वर्गों के लोगों को एक तिहाई से बी कम वेतन दिया जा रहा है. इस निजाम का भी सबसे ज्यादा कुप्रभाव दलितों पर पड़ा है. वृन्दाकारत ने कहा कि हम दलितों के अधिकारों के लिए किये जाने वाले हर संघर्ष के हैं.

रैली को भारतीय कम्युनिस्ट के नेता डी राजा नें भी संबोधित किया. उनहोंने कहा कि सरकार की नीतियों के चलते आरक्षण खतरे में है. सरकार शिक्षा और रोजगार के निजीकरण और उद्यमों को सरकार और निजी भागीदारी में बदलकर आरक्षण को ध्वस्त करने में लगी है. इसलिए हमें इसके खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने की जरूरत है.

इस अवसर पर 18 राज्यों से आये प्रतिनिधयों ने भी अपने विचार रखे. सभा का संचालन नैकडोर के वरिष्ठ नेता राजेश उपाध्याय ने किया.

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