कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में पार्टी का टिकट चाहने वाले प्रत्याशियों का चयन आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा करवाने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन इसके खिलाफ स्वर उठने लगे हैं.rahul-gandhi1

रमेश सर्राफ, राजस्थान से

इस प्रयोग के लिये देश के 15 लोकसभा क्षेत्रों को चुना गया है जिसमें राजस्थान के झुंझुनू व बीकानेर संसदीय क्षेत्र को शामिल किया गया है।

राजस्थान की झुंझुनू सीट जाट मतदाताओं की बहुलता वाली सीट है। गत दिनो सम्पन्न हुये विधानसभा चुनाव में भी क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच सूरजगढ़,झुंझुनू,उदयपुरवाटी,मंडावा व फतेहपुर से जाट उम्मीदवार विजयी हुये हैं। 1996 से यहां से स्व.शीशराम ओला लगातार जीतते रहें थे। झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी चयन के लिए तीन मार्च को वोटिंग होगी।

विजयी प्रत्याशी को लोकसभा का पार्टी टिकट तभी मिल सकेगा जब उसने कुल 50 फीसदी से एक वोट अधिक प्राप्त किया हो। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इस फार्मूले में सर्व सम्मति होने पर वोटिंग नहीं कराई जाएगी।

शंका

इस चुनाव प्रक्रिया को लेकर कार्यकर्ताओं के मन में शंका है कि ये चुनाव भी कहीं यूथ कांग्रेस चुनाव की तरह मैनेज तो नहीं हो जाएंगे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिलों में बड़े नेताओं को वर्चस्व है। झुंझुनू में कांगे्रस शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र ओला, पूर्व विधायक श्रवण कुमार, पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह,राजेन्द्र गुढ़ा के खेमों में बंटी हुआ है। ऐसे में बड़े नेता इस चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं।

चुनाव में मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिये 19 वर्ग बनाये गये हैं जिनमें सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा सरपंचो व निर्दलिय जीते जिला परिषद,पंचायत समिति व नगर पालिका सदस्यों व अध्यक्षें के नाम मतदाता सूची में जुड़वाने में किया जा रहा है।

झुंझुनू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में ऐसे करीब 400 मतदाताओं के नाम जोड़े जाने हैं जो जनप्रतिनिधि तो हैं मगर कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर नहीं जीते हैं। इनका नाम मतदाता सूची में स्थानीय नेताओं की सिफारिश पर शामिल किया जायेगा। ऐसे मेें स्थानीय प्रभावशाली नेता,जिला व ब्लाक कांग्रेस कमेटीयों के अध्यक्ष अपने चहेतो के नाम मतदाता सूची में जुड़वायेंगें फिर चाहे उसने गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी को वोट दिया हो या नहीं।

मतदाताओं की समस्या

इसी तरह मंडावा विधानसभा क्षेत्र की सभी ब्लाक व नगर कांग्रेस कमेटी गत विधानसभा चुनाव में भंग कर दी गयी थी ऐसे में उनके स्थान पर किसके नाम मतदाता सूची में शामिल किये जायेंगें। इस मतदान प्रक्रिया से किसान कांग्रेस,पूर्व सैनिक कांग्रेस को अलग रखा गया है जबकि झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता किसान व पूर्व सैनिक ही हैं।

इस वर्ग को प्रत्यासी चयन की प्रक्रिया से अलग रखकर कांग्रेस कौनसी पारदर्शी प्रक्रिया से प्रत्यासी का चयन कर रही है? इस प्रक्रिया से कांग्रेस को लाभ के बजाय हानी होने की संभावना ज्यादा नजर आ रही हैं,क्योंकि पार्टी के लिये वर्षों से जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं के नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हो पा रहा है क्योंकि उनके पास काम है कोई पद नहीं।

जबकि हवाई राजनीति करने वाले लोग पार्टी में पदाधिकारी बने बैठें हैं। इससे पार्टी में एक नयी गुटबाजी पैदा होने की संभावना पैदा हो गयी है। जिन कार्यकर्ताओं का नाम मतदाता सूची में नहीं आयेगा वो स्वंय को पार्टी में उपेक्षित मान कर आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में काम नहीं करेंगें। बताया जा रहा है कि स्थानीय नेता और कार्यकर्ता अपने नेता के कहे अनुसार ही प्रत्याशी को वोट देंगे। ऐसे में कार्यकर्ताओं की ओर से ये तर्क दिया जा रहा है कि उपयुक्त उम्मीदवार का चयन किस प्रकार किया जाएगा। ऐसे में राहुल गांधी के इस फार्मूले के सफल होने की संभावना कम ही नजर आ रही है।

कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस प्रयोग को बड़े नेता प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में इस प्रयोग से पारदर्शिता की उम्मीद करना बेमानी होगा। इस चुनावी प्रक्रिया से उन कांग्रेसी नेताओं को जरूर झटका लगा है जो जयपुर में रहकर जिले की नेतागिरी करते हैं तथा संगठन व सरकार में चापलूसी के बल पर बड़े-बड़े पद हासिल कर लेते हैं।

By Editor

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