कर्नाटक राज्य मानवाधिकार आयोग ने तीन लोगों को आतंकवाद के झूटे मुकदमे में फंसाने पर बंगोलर पुलिस पर केस दर्ज किया है साथ ही क्षतिपूर्ति का निर्देश भी दिया है.

छह महीनों तक सलाखों में बंद रहे मोहीउद्दीन ( साभार हिंदू)
छह महीनों तक सलाखों में बंद रहे मोहीउद्दीन ( साभार हिंदू)

मालेश्वरम बम धमाके में बंगोलर पुलिस ने तीन लोगों को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया था लेकिन सबूत नहीं मिलने पर उन्हें छह महीने बाद रिहा कर दिया गया.
आयोग ने इस मामले को काफी गंभीरता से लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव को भी नोटिस जारी किया है. और कहा है कि इन तीन निर्दोष लोगों को 2-2 लाख रुपये अंतरिम क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें.

अखबार द हिंदू के अनुसार राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य सी.जी हुनूगुंड ने मुख्यसचिव को भेज पत्र में कहा है कि पत्र की प्राप्ति के एक महीना के अंदर इन निर्दोषों को राशि अदा की जाये.

चेन्नई के रहने वाले पीर मोहीउद्दीन, सद्दाम हुसैन और टी हनीफा को हाल ही में बंगोलोर सेंट्रल जेल से रिहा किया गया है. ये लोग छह महीने तक जेल में बंद थे लेकिन पुलिस उनके खिलाफ कोई सुबूत जुटाने में नाकाम रही थी.

इस संबंध में मानवाधिकार आयोग के सदस्य हुंगूड ने कहा कि छह महीने तक जेल में बंद रखना और कोई सुबूत नहीं जुटाना पुलिस और जांचकर्ताओं की जबर्दस्त नाकामी है
उन्होंने कहा कि एक खास सम्प्रदाय को किसी में फंसाने की कुछ पुलिस अधिकारियों की यह सोच चिंताजनक है.

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