मंगलवार को यूपी के सहारनपुर में जीस तरह से दोबारा  बेलगाम भीड़ ने फिर हिंसा बरपा कर दिया इस दौरान योगी सरकार का पुलिस प्रशासन बेबस और लाचार साबित हुआ है. इस दौरान भीड़ ने न सिर्फ पुलिस वालों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा बल्कि थाना को भी फूक दिया.
 चार दिन पहले बड़गांव इलाके में महाराणा प्रताप जयंती पर शोभायात्रा निकालने के दौरान दलितों और ठाकुरों में संघर्ष हुआ था, जिसमें एक युवक की मौत के बाद कई घर फूंक दिए गए थे. उसी घटना के विरोध में मंगलवार को कई दलित संगठन गांधी पार्क में जमा हुए. 
कई पुलिस वालों को आम लोगों के घरों में छुप कर जान बचानी पड़ी. हालात इतने बेकाूब थे कि पुलिस जवानों की कौन कहे एडीएम, एसडीएम और पुलिस अफसरों ने भागकर जान बचाई, कई पुलिसवालों को गुस्साई भीड़ से बचने के लिए आवासीय कॉलोनियों में छुपना पड़ा.
भगवा तुष्टिकरण
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान का कोई असर नहीं हुआ जिसमें उन्होंने जातीय या मजहबी दंगा करने वालों को गंभीर रूप से चेतावनी दी थी.
पिछले एक महीना में उत्तर प्रदेश में दलित व सवर्णों के बीच यह चौथी बार हिंसा हई है. इस से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उनकी सरकार भगवा तुष्टीकरण पर उतर आयी है. मायावती ने यहां तक कहा था कि राज्य में अमन बहाल करना योगी के बस की बात नहीं है.
उधर मंगल वार को जिले के एएसपी राहुल श्रीवास्तव ने ट्विट कर जानकारी दी कि दोनों अडिशनल एसपी का ट्रांसफर कर दिया गया है, सहारनपुर में मंगलवार को जो हुआ, वह सुनियोजित था. पुलिस और खुफिया विभाग के मुताबिक शहर को अशांत करने की योजना थी। ‘भीम आर्मी’ के नेतृत्व में दलित समाज के लोगों ने चार दिन पहले हुई हिंसा से काफी खिन्न थे. उसी के बाद भीम आर्मी के लोगों ने मीटिंग बुलाई थी.

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