उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि टास्क फोर्स का गठन कर राज्य के लिए अलग से बांस नीति बनायी जायेगी।  श्री मोदी ने यहां पर्यावरण एवं वन विभाग की ओर से पहली बार आयोजित ‘बैंम्बू कान्क्लेव’ का उदघाटन करने के बाद कहा कि राज्य के किसानों, कारिगरों एवं उद्यमियों को अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए असम ,त्रिपुरा भेजा जायेगा । अररिया टिश्यू कल्चर लैब में प्रशिक्षण सेंटर स्थापित कर कौशल विकास तथा बांस की खेती की प्रशिक्षण दी जायेगी । उन्होंने कहा कि राज्य के लिए अलग से बांस नीति बनायी जायेगी । 


उप मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार की नेशनल बैंम्बू को कृषि विभाग से अलग कर पर्यावरण एवं वन विभाग के तहत कृषि वानिकी के तर्ज पर कार्यान्वित किया जायेगा । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांस को ग्रीन गोल्ड की संज्ञा देते हुए नेशनल बैंम्बू मिशन के तहत देश के लिए 2018-19 और 2019-20 में 1290 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है जिससे एक लाख हेक्टेयर में प्लांटेशन कर एक लाख किसानों को लाभान्वित किया जायेगा ।

श्री मोदी ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने बांस को ट्री की श्रेणी से निकाल कर ग्रास (घास) की श्रेणी में रख दिया है जिससे किसानों को बांस काटने और विक्री करने में आसानी होगी । बिहार के भागलपुर में स्थापित पहले बैंम्बू टिश्यू कल्चर लॉव की क्षमता सालाना 1.5 लाख से बढ़कर तीन से पांच लाख की सीडलिंग की जायेगी । उन्होंने कहा कि सुपौल जिले में जल्द ही टेश्यू कल्चर लैव काम करना शुरू कर देगा । उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अररिया में खोले जा रहे बांस के टिश्यू कल्चर लैब की क्षमता क्रमबद्ध तरीके से सालाना 8-10 लाख सीडलिंग की जायेगी । जिस तरह से बकरी गरीबों की गाय होती है उसी तरह बांस गरीबों का टिम्बर है । उन्होंने कहा कि भूक्षरण रोकने की क्षमता के कारण बांढग्रस्त क्षेत्रों के लिए बांस वरदान है ।

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