कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि वैज्ञानिकों से बाढ प्रभावित क्षेत्रों और जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में हो रही वृद्धि के मद्देनजर गन्ना की नयी किस्मों का विकास करने का अनुरोध किया है ताकि किसानों की आय को बढाया जा सके ।

श्री सिंह ने  ‘भारत में मिठास क्रांति के 100 वर्ष : सीओ 0205 से सीओ 0238 तक’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिकों को गन्ना की ऐसी किस्मों का विकास करना चाहिये, जिसकी खेती बाढ प्रभावित क्षेत्रों में भी की जा सके। इसके साथ ही तापमान में वृद्धि के बावजूद अच्छी पैदावार देने वाली गन्ना तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मो का भी विकास किया जाना चाहिये । धान की ऐसी किस्मों का विकास कर लिया गया है, जो 20 दिनों तक पानी में डूबे रहने के बाद भी अच्छी पैदावार देता है । उन्होंने कहा कि भारत गन्ना उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है और वह दुनिया के 28 देशों को गन्ना बीज और प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराता है । उन्होंने कहा कि 1930 -31 में तीन करोड़ 63 लाख टन गन्ना का उत्पादन होता था, जो 2014-15 में बढकर लगभग 36 करोड टन हो गया है । इसी प्रकार से गन्ने में चीनी की मात्रा भी 11 से 12 प्रतिशत तक हो गयी है ।

श्री सिंह ने कहा कि गन्ने में चीनी की मात्रा के बढने से चीनी मिलों को लाभ हुआ है और उन्हें इसका लाभ किसानों को भी देना चाहिये । कुछ चीनी मिलों के बंद होने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ चीनी मिलों ने बैंकों से ऋण भी लिया और पूंजी को दूसरे व्यवसाय में लगा दिया और मिल को बंद कर दिया।

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