बिहारी बाबू की भूमिका बदलने वाली है। पटना के भाजपा सासंद शत्रुघ्‍न सिन्‍हा जदयू के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। जदयू के वरिष्‍ठ नेता और बिहारी बाबू के बीच प्रचार के मुद्दे पर सहमति बन गयी है। हालांकि ‘सौदा’ अभी तय होना बाकी है। शत्रुघ्‍न सिन्‍हा अपनी पत्‍नी पूनम सिन्‍हा को बांकीपुर से विधान सभा चुनाव लड़वाएंगे या अगले साल होने वाले राज्‍य सभा चुनाव में पत्‍नी को दिल्‍ली भेजेंगे,  इस बात पर सहमति बनना बाकी है। लेकिन भाजपा में बगावत का उन्‍होंने निर्णय ले लिया।download (1)

वीरेंद्र यादव  

 

 

पार्टी के कार्यक्रमों में उपेक्षा से नाराज श्री सिन्‍हा अपनी नाराजगी छुपाते भी नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में पार्टी की चार परिवर्तन रैलियों को संबोधित किया। इनमें से किसी रैली में उन्‍हें आमंत्रित नहीं किया गया। पार्टी के सांसद व विधायकों की बैठक में भी उन्‍हें नहीं बुलाया जाता है। बिहारी बाबू के इसी ‘घाव’ पर मरहम लगाने के बहाने जदयू ने संपर्क साधा। इसकी जिम्‍मेवारी पवन वर्मा को सौंपी गयी। अपने काम में पवन वर्मा सफल रहे। इसमें  सांसद हरिवंश ने भी उनका साथ दिया। इसके बाद बिहारी बाबू के बोल बदल गए। वे नीतीश कुमार के ‘यशोगान’ करने लगे और लालू यादव के गुणगान में जुट गए।

 

भाजपा के पप्‍पू यादव बनेंगे लालाजी

राजद के निष्‍कासित सांसद पप्‍पू यादव के रास्‍ते पर चलने का निर्णय लिया है बिहारी बाबू ने। वह पार्टी के प्रदेश नेतृत्‍व से पहले से खफा हैं, अब संसदीय दल के खिलाफ भी ‘बयानों के तीर’ चला सकते हैं। वे चाहते हैं कि पप्‍पू यादव के तरह उनको भी पार्टी से निष्‍कासित कर दिया जाए। ताकि उन पर पार्टी के प्रति नैतिक जिम्‍मेवारियों का बोझ भी नहीं हो। बिहारी बाबू यह समझते हैं कि जदयू के लिए वे वोट भले न जुटा सकें, भीड़ जुटा ही सकते हैं। चुनाव के मौके पर सभाओं में भीड़ का मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ता है और इस का लाभ नेता के लिए जदयू उनका इस्‍तेमाल करना चाहती है।

By Editor

Comments are closed.