बिहार में 17 व 30 मार्च को हुए दंगें सुनियोजित थे, जिसमें बाहर से आये लोग शामिल हुए थे. ये बात राज्य पुलिस और इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट की जांच के दौरान पता चली है. इंटेलिजेंस सू्त्र के हवाले से खबर है कि बिहार में हुए दंगों की योजना बनाने और दंगे करवाने में बाहरी लोग शामिल थे. हालांकि इसमें कई ऐसी बातें हैं, जिस पर से पर्दा उठना अभी बांकी हैं.

नौकरशाही डेस्‍क

मगर वरिष्ठ इंटेलीजेंस अधिकारियों के हवाले से खबर है कि दंगाइयों की भीड़ में कम से कम तीन ऐसे व्यक्ति देखे गए जो अलग-अलग तीन ज़िलों में दंगे भड़काने में शामिल थे. इसके अलावा इंटेलीजेंस अधिकारियों को तीन ऐसे वाहन भी मिले, जो इन ज़िलों में दंगाइयों द्वारा प्रयोग किए गए थे.

जांच के अनुसार, दंगे के एक दिन पहले बड़ी मात्रा में देसी हथियार खरीदे गए थे. जिस दुकान से ये ऑर्डर दिए गए थे, उसकी पहचान कर ली गई है और दुकानदार से पूछताछ की जा रही है. दंगों के बाद पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें से एक धीरज कुमार है जो कि नालंदा ज़िले के सिलाव में बजरंग दल का कन्वीनर है. धीरज कुमार का नाम नालंदा व नवादा दो ज़िलों में दंगे भड़काने में आया है.

वहीं, औरंगाबाद जि़ले के ज़िलाधिकारी राहुल रंजन महीवाल ने बताया कि इस बार राम नवमी में तीन चीज़े असामान्य रहीं. पहला, राम नवमी के करीब एक हफ्ते पहले सिर पर केसरिया रंग की पट्टी बांधे हुए काफी बाहरी लोग आने शुरू हो गए थे. दूसरा इन लोगों के पास काफी संख्या में तलवारें थीं और, तीसरा जुलूस के लिए मोटरसाइकिल रैली की योजना बनाई गई थी जो कि इससे पहले कभी भी नहीं हुआ.

 

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