प्रेस इंफॉर्मेशन ब्‍यूरो (पीआईबी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान 329 सुरक्षाबलों ने आत्‍महत्‍या की है. इसके पीछे आत्महत्या करने के कुछ कारणों में पारिवारिक समस्याएं, घरेलू समस्याएं, वैवाहिक समस्याएं, असंतोष और व्यक्तिगत कारण इत्यादि बताये गए हैं.

नौकरशाही डेस्‍क

साल 2014 में थल सेना के दो अधिकारी व 82 जेसीओ/ओआर ने, नौसेना के चार नाविकों ने और वायुसेना के दो अधिकारी व 19 एयरमैन (टोटल – 109) ने अपनी जीवन लीला समाप्‍त कर ली. वहीं, साल 2015 में थल सेना के एक अधिकार व 77 जेसीओ/ओआर ने, नौसेना के तीन और वायुसेना के 14 एयरमैन (टोटल-95) ने आत्‍महत्‍या कर लिया, तो साल 2016 में 129 सुरक्षा बलों ने आत्‍महत्‍या की, जिनमें थल सेना के चार अधिकारी व 100 जेसीओ/ओआर, नौसेना के एक अधिकारी व पांच नाविक और वायुसेना के तीन अधिकारी व 16 एयरमैन शामिल हैं. वहीं, साल 2017 में अत्‍महतया करने वाले सुरक्षाबलों की संख्‍या 92 है। इस साल थल सेना के दो अधिकारी व 67 जेसीओ/ओआर, नौसेना के एक अधिकारी व चार नाविक और वायुसेना के 18 एयरमैन ने खुद को खत्‍म कर लिया देखें नीचे :

इसके अलावा, पिछले तीन वर्षों के दौरान और मौजूदा वर्ष में समय से पूर्व अवकाश लेने वाले अधिकारियों और अन्य पदों के सैन्यकर्मियों की संख्या 37,550 है. जबकि साल 2017 में एक अक्‍टूबर को मार्च के महीने तक ये आंकड़ा 4408 है. देखें नीचे :

यह सूचना रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने लोकसभा में श्रीमती दर्शना विक्रम जरदोश और श्री दुष्यंत चौटाला द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में दी और बताया कि सशस्त्र बलों ने अपने अधिकारियों और अन्य पदों के सुरक्षाकर्मियों के लिए स्वस्थ/उचित माहौल बनाने के लिए कई कदम उठाएं हैं. जिसमें परिधान/वर्दी, भोजन, वैवाहिक आवास, यात्रा सुविधा, स्कूली सुविधा, मनोरंजन सहित समय-समय पर कल्याण बैठकों का प्रावधान, तनाव प्रबंधन के लिए योग और ध्यान की व्यवस्था, मनोवैज्ञानिक काउंसलरों का प्रशिक्षण और तैनाती, सैन्यकर्मियों में तनाव कम करने के लिए उत्तरी और पूर्वी कमान में सेना द्वारा ‘मिलाप’ और ‘सहयोग’ परियोजनाओं की शुरूआत, प्रोफेशनल काउंसिलिंग के लिए सेना और वायुसेना द्वारा एक ‘मानसिक सहायता हेल्पलाइन’ का गठन, सैन्य प्रशिक्षण के दौरान मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता प्रदान करना एवं आईएनएचएस अश्विनी में सैन्य मनोवैज्ञानिक उपचार केन्द्र का गठन और मुंबई, विशाखापत्तनम, कोच्चि, पोर्ट ब्लेयर, गोवा और कारवार में मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना शामिल हैं.

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