सड़कों पर महिलओ के साथ छेड़छाड़, महिलाओ की अस्मत के साथ खिलवाड़  और घरेलू हिंसा आज सभ्य समाज और देश के लिए अभिशाप बन गया है। ऐसे मे खुद को स्बावलंबी बनाने के साथ ,  अपराधियो से निपटने के लिए जुडो कराटे का सहारा आज एक सशक्त माघ्यम बनता जा रहा है।

प्रशिक्षण देती शालू
प्रशिक्षण देती शालू

महफूज रशीद, बेगूसराय

बेगूसराय मे जुडो कराटे का क्रेज जिस तेजी से बढा है इसके पीछे एक युवती की मेहनत है जो अब धरातल पर दिखने लगी है । वर्षों से युवतियो मे सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने का काम बेगूसराय की एक युवती कर रही है । गांव और शहर से जुड़ी युवतियो को जुडो कराटे की ट्रेनिंग देकर उसे अपराध और अपराधियों से निपटने का साहस देने वाली इस युवती का नाम शालू है ।

 

जो आज उन युवतियो के लिए आर्दश है जो देश और दुनियॉ के महिलाओ को अपराध मुक्त कराना चाहती है ।

समाज के लिए करने का जज्बा

रास्ते अनेक है और इसपर चलने वाला हर आदमी अपने लिए एक मंजिल की तलाश करता है । कोई खुद के लिए समाज के लिए अपना रास्ता तलाशता है । बेगूसराय शहर के सुदूर गंव जिनेदपुर से आने वाली  शालू ने खुद को समाज के लिए कुछ करने की ठानी । इसके लिए शालू के दिलो दिमाग मे उन महिलाओं की तस्वीर सामने आई जिनकी जिदंगी मे छेड़छाड़ और अस्तम लूट की धटना ने अंधेरा ला दिया । फिर क्या था शालू ने अपना रास्ता बदल कर महिलाओ के लिए कुछ करने की ठानी । महज 19 साल की उम्र मे जुडो कराटे की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओ मे कई पदक जीत चुकी शालू ने अपने जीवन का मकसद सिर्फ उन लडकियो के हौसले की उडान लगाने के लिए चुना ।

 

शालू हर दिन जिनेदपुर गंव से चार से पॉच किलो मीटर की साईकिल यात्रा तय कर शहर लडकियो को प्रशिक्षण देने आती है ।

हौसले की उड़ान

न सिर्फ कराटे बल्कि महिलाओ को हर क्षेत्र मे स्वावलंबी बनाने मे मदद करने वाली शालू ,की कोशिश युवतियो मे हौसेले की नइ्र्र पंख लगाने की है जो जीवन के हर क्षेत्र मे उसके काम आए। इसके लिए शालु दिन रात इस कोशिश मे लगी रहती है कैसे लडकियां लडको के बराबरी मे खडी हो जाये – शालू कुमारी कहती हैं  आज जो हर जगह लडकियो के मदद के लिए लड़कियां खडी होती है ।

शालू का मानना है की उन्हे खुशी होती जब लडकियॉ अपनी जैसी लडकियो के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा करती है – समय के साथ साथ शालू की यह कोशिश रंग ला रही है और लडकियॉ जुडो कराटे का प्रशिक्षण लेकर खुद को मजबुत महशुस कर रही है.

By Editor