प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध अधिनियम (पीबीपीटी), 1988 के तहत निर्णयन प्राधिकरण के गठन और अपीलीय न्‍यायाधिकरण की स्‍थापना को स्‍वीकृति दे दी है. अब पीबीपीटी अधिनियम के तहत तीन अतिरिक्‍त खंडपीठों के साथ निर्णयन प्राधिकरण का गठन किया जाएगा और अपीलीय न्‍यायाधिकरण की स्‍थापना की जाएगी. 

नौकरशाही डेस्क

इसके अलावा निर्णयन प्राधिकरण, इस प्राधिकरण की खंडपीठों और अपीलीय न्‍यायाधिकरण को अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण उपलब्‍ध कराये जायेंगे. आयकर विभाग/केन्‍द्रीय प्रत्‍यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) में समान स्‍तर/रैंक वाले वर्तमान पदों का उपयोग अन्‍यत्र करके यह काम पूरा किया जाएगा.

निर्णयन प्राधिकरण और अपीलीय न्‍यायाधिकरण दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटीडी) में ही अवस्‍थित होंगे. निर्णयन प्राधिकरण की खंडपीठ कोलकाता, मुम्‍बई और चेन्‍नई में अवस्थित हो सकती है. प्रस्‍तावित निर्णयन प्राधिकरण के अध्‍यक्ष के साथ सलाह-मशवि‍रा करने के बाद ही इस बारे में आवश्‍यक अधिसूचना जारी की जायेगी.

इस अधिनियम के मंजूरी मिल जाने से निर्णयन प्राधिकरण को सौंपे गये मामलों का कारगर एवं बेहतर निपटान संभव होगा और इसके साथ ही निर्णयन प्राधिकरण के ऑर्डर के खिलाफ अपीलीय न्‍यायाधिकरण में की जाने वाली अपील का भी त्‍वरित निपटान संभव हो पायेगा.

निर्णयन प्राधिकरण के गठन से पीबीपीटी अधिनियम के तहत की जाने वाली प्रशासनिक कार्रवाई की प्रथम चरण समीक्षा करने में मदद मिलेगी. प्रस्‍तावित अपीलीय न्‍यायाधिकरण की स्‍थापना से पीबीपीटी अधिनियम के तहत निर्णयन प्राधिकरण द्वारा जारी किये जाने वाले ऑर्डर के खिलाफ अपील करने की समुचित व्‍यवस्‍था संभव हो पायेगी.

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