हाल ही में यूपी के इटावा में  एम्बुलेंस नहीं मिलने पर अपने पुत्र का शव कंधे पर ढोने की खबर आयी थी, लेकिन बिहार के पूर्णिया  के  सदर अस्पताल में एक महिला मरीज की मौत के बाद उसके शव को परिजन बाइक पर लेकर 20 किलोमीटर दूर घर गये.

Photo credit Pradesh18

श्रीनगर थाना के रानीबाड़ी गांव की सुशीला देवी की हार्ट अटैक के कारण पूर्णिया सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी.

प्रदेश18 में कुमार प्रवीण की रिपोर्ट के अनुसार परिजन सुशीला के शव को बाइक पर बांध कर 20 किलोमीटर दूर अपने घर ले गये. इस घटना ने मानवीय संवेदना को झकझोर दिया. पीड़ित मरीज के पति शंकर साह का कहना है कि उसने पहले तो सदर अस्पताल के डॉक्टर से शव घर ले जाने के लिये वाहन की मांग की तो उसने असमर्थता जताई.

इसके बाद जब वह ऑटो लेने गया तो ऑटो वाले ने 20 किलोमीटर तक शव को ले जाने के लिये 13 सौ रुपये की मांग की लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे कि वो अपनी पत्नी का शव ऑटो पर ले जा सके. मृतक के पुत्र राजेश साह और पति शंकर साह ने मिलकर शव को बाइक पर बांधा और 20 किलोमीटर दूर रानीबाड़ी गांव गये.

बिहार के पूर्णिया में मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली तस्वीरें सामने आयी हैं. शहर के  सदर अस्पताल में एक महिला मरीज की मौत के बाद उसके शव को परिजन बाइक पर लेकर 20 किलोमीटर दूर घर गये.

मरीज की गरीबी और सदर अस्पताल प्रशासन द्वारा मार्चरी वाहन नहीं दिये जाने के कारण ये संवेदनहीनता देखने को मिली. श्रीनगर थाना के रानीबाड़ी गांव की सुशीला देवी की हार्ट अटैक के कारण पूर्णिया सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी.

इसके बाद परिजन सुशीला के शव को बाइक पर बांध कर 20 किलोमीटर दूर अपने घर ले गये. इस घटना ने मानवीय संवेदना को झकझोर दिया. पीड़ित मरीज के पति शंकर साह का कहना है कि उसने पहले तो सदर अस्पताल के डॉक्टर से शव घर ले जाने के लिये वाहन की मांग की तो उसने असमर्थता जताई.

इसके बाद जब वह ऑटो लेने गया तो ऑटो वाले ने 20 किलोमीटर तक शव को ले जाने के लिये 13 सौ रुपये की मांग की लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे कि वो अपनी पत्नी का शव ऑटो पर ले जा सके. मृतक के पुत्र राजेश साह और पति शंकर साह ने मिलकर शव को बाइक पर बांधा और 20 किलोमीटर दूर रानीबाड़ी गांव गये.

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